पंकज मिश्रा जी ने चिट्ठों की चर्चा करने का आग्रह किया था जिसे स्वीकार करके सोमवार से चर्चा करने का मन बनाया ,लेकिन सोमवार को शास्त्री जी को चर्चा करनी थी इसलिए हम मंगलवार को आ गये बजरंग बली की जय बोलकर। अभी अभी मैने एक पोस्ट पढी है जिसमे ब्लागिंग की रक्षा के लिए एंटी गाईडेड मिसाईल लगाने की बात हो रही है, अब मै ललित शर्मा चर्चा प्रारंभ करता हुँ…………..
आज से हिंदी ब्लागिंग की स्वच्छ छबि की रक्षा करने हेतु सीमाओं पर एंटी गाइडेड मिजाइले तैनात
कल लिखा था की साजिशे करना छोड़ दो . अमर्यादित भाषा का उपयोग करना बंद करो . किसी की टोपी उछालना बंद करो ... बहुत हो गई . मेरा गुस्सा ललित जी समयचक्र पर बता दिए है..... गुरु ने ब्लागिंग से राम राम की तो वो सब कुछ नाम खोलकर लिखूंगा की बाबा हिल जाओगे...लखटकिया कन फटिया सतर्क हो जाओ और हिंदी ब्लागिंग जगत की बनती छबि को विश्व के समाने लज्जित मत करो . बहुत हो ...... जिस भाषा का खा रहो हो उस भाषा के चिथड़े चिथड़े करने की ठेकेदारी बंद करो .....हमारे गुरु ने पलायन नहीं किया है . आज बहुत समझाया है .और कई जने उन्हें समझा रहे है ..... ऐसे कुख्यात जनों को समझा रहा हूँ अपनी जद में रहो वरना हमने हिंदी ब्लागिंग की अस्मिता की और नव ब्लागरो की रक्षा करने के लिए आज से हिंदी ब्लागिंग की सीमाओं पर स्वच्छ छबि की रक्षा करने के लिए अपनी एंटी गाइडेड मिजाइले तैनात कर दी है ...जो हर दम मोर्चे पर तैनात रहेगी और ऐसे लालू चप्पू पर अपनी पल पल सतर्क निगाहें रखेगी ......सावधान .....सावधान....सावधान
समझदार पत्नी !एक बार एक पहाडी गाँव के नए-नए बने एक गरीब प्रधान जी के घर पर कुछ देर ठहरने का सौभाग्य मिला तो उनकी धर्म- पत्नी की बुद्धिमता की प्रशंसा किये बगैर नहीं रह सके ! आइये आपको भी सुनाते है ! प्रधान जी को चावल का गरम-गरम मांड पीने का शौक था!
माँमाँ संवेदना है, भावना है, अहसास है।माँ जीवन के फूलों में खुशबू का वास है।माँ रोते हुए बच्चे का खुशनुमा पलना है,माँ सहारा में नदी या मीठे पानी का झरना है।माँ लोरी है, गीत है, प्यारी सी थाप है,माँ पूजा की थाली है, मंत्रों का जाप है।माँ आखों का सिसकता हुआ
चमन को ऐसी बहार दे दो..
महक उठे हर शज़र का पत्ता
चमन को ऐसी बहार दे दो
जो आसमां को भी जगमगा दे
धरा को ऐसा सिंगार दे दो
जो नफरतों की मशाल बाले
अमन की कलियाँ कुचल रहे है
जो रहनुमा बन के गुल्शितान को
उजड़ने को मचल रहे है
तुम्हे कसम है मिटा दो उनको
गमे जिगर को करार दे
ग़ज़ल - इक ज़रा सी बात पर
इक ज़रा सी बात पर
आ गए औकात पर
आप भी हंसने लगे
अब मेरे जज़्बात पर
खूब रोया फिर हंसा
वो मेरे हालात पर
फिर ज़मीं प्यासी हुई
फिर नज़र बरसात पर
ज़िंदगानी वार दो
प्यार के लम्हात पर
जिम्मेदारी-- मनोज कुमार बॉस ने कल शाम ही कहा था ‘सुबह, .. शार्प एट टेन थर्टी तुम प्रजेंटेशन मुझे दिखाओगे।’ देर रात तक जागकर उसने अपने लैप टॉप पर प्रजेंटेशन के स्लाइड्स तैयार किए थे और इतना खुश था कि बॉस इसे देखेंगे तो उसका कैश अवार्ड तो पक्का ! उसी रोज़ दोपहर बाद
कल+आज= सुनहरा भविष्यकुछ लोगों को आपने अतीत से नफरत होती है, क्योंकि वह सोचते हैं कि अतीत को देखने से उनको उनका बीता हुआ बुरा कल याद आ जाएगा, किंतु मेरी मानो तो अतीत को इंसान नहीं संवार सकता परंतु अतीत इंसान को सीख देकर उसके आने वाले कल को जरूर सुधार सकता है।आपने
कालेज के सारे बच्चे फेल. पप्पू अकेला पास हो गया !!
नमस्कार , मै बोदूराम ..ताऊ पाठशाला का सबसे होनहार छात्र..आज कल पंकज मिश्रा को तो फुरसत है नहीं तो सोचा क्यों न मै ही अलख जगा दू ..बस ज्यादा समय नहीं लूगा .दो चार जोक मारुगा ,उतने में अप मर गए तो ठीक नहीं तो नमस्ते बोलकर खिसक जाउगा
भारतीय संस्कृ्ति में कलश का महत्व..............यदि हम किसी धार्मिक कृ्त्य, रीति रिवाज, परम्परा इत्यादि को बिना अर्थ अथवा उसके महत्व को जाने हुए निभाते चले जाएं तो निश्चय ही यह हमारा अंधविश्वास माना जाएगा। मेरा मानना है कि जब तक धार्मिक प्रतीकों एवं मांगलिक कृ्त्यों तथा उनके विज्ञान को हम समझ न
अभी थोड़ी देर पहले संगीता पुरी जी की भूकम्प आने की भविष्यवाणियों वाली पोस्ट देख रहा था तो मुझे अपनी उस पोस्ट का स्मरण हो आया जिसमें एक सपाट चिकनी दीवार तथा सूर्य की साफ रोशनी के सहारे, स्थान विशेष पर आने वाले भूकम्प की तीव्रता सहित, संभावित समय
संगीता पुरी जी की भूकम्प वाली भविष्यवाणियाँ तथा एक अन्जान विज्ञान का अनुमोदन
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रोक सको तो रोक लो: - महफूज़
अभी थोड़े दिन पहले कि ही बात है. मैं जिम से एक्सरसाइज़ कर के अपने दोस्त पंकज के साथ घर लौट रहा था. कडाके कि ठण्ड में भी मुझे बहुत गर्मी लग रही थी. उस दिन कार्डियो और बेंच प्रेस बहुत ज्यादा कर लिया था. मुझे बॉडी बिल्डिंग का बहुत शौक़
कुहरे की फुहार से ठहर गया जन-जीवन शीत की मार से काँप रहा मन और तन माता जी लेटी हैं ओढ़कर रजाई काका ने तसले में लकड़ियाँ सुलगाई गलियाँ हैं सूनी सड़कें वीरान हैं टोपों से ढके हुए लोगों के कान हैं खाने में खिचड़ी मटर का पुलाव है जगह-जगह जल रहे आग के अलाव है
“ठहर गया जन-जीवन” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”)
पिछले साल का अंत हिंदी ब्लोग्गिंग में जितना उठापटक वाला रहा था ,उससे ये तो अंदाजा था कि नये साल मेंबहुत कुछ और बहुत सारा होने वाला है, मगर ये गुमान कतई नहीं था कि समुद्र मंथन की तरह ब्लोग्गिंग मंथन भीशुरू हो ही जाएगा । और आजकल तो खूब म
फ़ूंफ़ां ब्लोग्गिंग बनाम गंभीर लेखकिंग
फ़र्रुखाबादी विजेता (167) : श्री Aks 
ताऊ रामपुरिया द्वारा ताऊजी डॉट कॉम -11 घंटे पहले पर पोस्ट किया गया
नमस्कार बहनों और भाईयो. रामप्यारी पहेली कमेटी की तरफ़ से मैं समीरलाल "समीर" यानि कि "उडनतश्तरी" फ़र्रुखाबादी सवाल का जवाब देने के लिये आचार्यश्री यानि कि हीरामन "अंकशाश्त्री" जी को निमंत्रित करता हूं कि वो...
गीत/ वो है अनुभूति इक सुन्दर....
गिरीश पंकज पर
* *पिछले दिनों लम्बे अंतराल के बाद मुंबई प्रवास पर था.(इसलिए सुधीजन बोर होने से बच गए.) अब फिर हाज़िर हूँ. * *मुंबई में महान गायक महेंद्र कपूर के जन्म दिन पर एक कार्यक्रम था. उनके पुत्र रोहन के ख़ास आग्रह...
ब्लाग जगत के बाबाओं को समर्पित आज का कार्टून! 
अब चर्चा को देते हैं विराम-सबको राम-राम
Tuesday, January 12, 2010
सावधान! ब्लागिंग की छवि की रक्षा के लिए मिसाईलें तैनात (चर्चा हिंदी चिट्ठों की)
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चर्चा हिंदी चिट्ठों की,
ललित शर्मा
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 फ़ूंफ़ां ब्लोग्गिंग बनाम गंभीर लेखकिंग
 गीत/ वो है अनुभूति इक सुन्दर....


21 comments:
अच्छे लिंक ...सुन्दर चर्चा ...!!
सुन्दर चर्चा!
यदि टेबिल की चौड़ाई बढ़ा देते तो फ्रेम में फिट लगती!
ललित जी चिट्ठाचर्चाकार के रूप में आपका स्वागत है |
बहुत बढ़िया रही आपकी चर्चा | आभार |
nice
बहुत मेहनत से की गई उम्दा चर्चा...बधाई ललित भाई..आजकल चर्चाओं में छाये हैं आप!!
एक और बेहतरीन प्रस्तुति..सुंदर चिट्ठा चर्चा...बधाई!!
..सुन्दर चर्चा ...!!
वाह ललित जी , आप तो चर्चा विशेषज्ञ होते जा रहे हैं , अलग अलग अंदाज में चर्चाएं पढ के मजा आ रहा है
अजय कुमार झा
बढ़िया चर्चा.
tanu.
आज फिर अति सुन्दर चर्चा प्रस्तुत करने के लिए आप बधाई के पात्र हैं !
waah yeh bahut accha hai... sab ek saath...
सादर वन्दे,
आपने मेरे चेले की मिजाइल्स अड़ा दी चर्चा में .... बधाई ..बहुत सुन्दर चर्चा की भाई समां बांध दिया जी आपने....
वाह आपने तो आपके नाम को ही सार्थक कर दिया. अलग अलग चर्चाओं मे अलग अलग ललित चर्चा करते दिखाई पडते हैं. बहुत शुभकामनाएं.
रामराम.
ललित जी तो आलराऊंडर हो चुके है....चाहे जहाँ फिट कर दो..वहीं हिट :)
बढ़िया चर्चा!
घुघूती बासूती
बेहतरीन चर्चा । आभार ।
बहुत सुंदर चर्चा का एक लाभ यह भी है कि हम जिन सज्जन को पढने से चूक जाते है, उस का पता यहा लघ जाता है. धन्यवाद
एक बेहतरीन प्रस्तुति....
har bar ki tarah hi lalit-charcha...sundar, mehanat se bhari hui.. yah lalit sharma ke boote ki hi baat hai bhai...
तो क्या हम चर्चा के लायक भी नही हैं,ऐसी बेरूखी अच्छी नही है ललित बाबू।
क्या बात है जी पूरा रणक्षेत्र बन गया है
बढ़िया काम
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