Saturday, January 23, 2010

टिप्पणी खींचू तेल-जब मैं चोरी करते पकड़ा गया" चर्चा हिंन्दी चिट्ठों की" (ललित शर्मा)








किसी आदमी की करोड़ों रूपये की लाटरी निकलती है तो वह सबसे पहले उस काम को छोड़ना चाहता है जिसे वह करते आया है. सोचता है इतना पैसा आ गया है कि दूसरा कम धंधा करेंगे. लेकिन एक आदम ऐसा मिला जिसकी २६ मिलियन पौंड (लग-भग २ अरब रूपये) की लाटरी निकालने के बाद भी अपनी टैक्सी चलाने के धंधे को छोड़ना नहीं चाहता. यह शख्स है लन्दन का ७५ वर्षीय जार्ज स्टर्ट, अब इसे अपने टैक्सी चलाने के धंधे से कितना पेम है? और इधर देखो महराष्ट्र सरकार बेचारे टैक्सी वालों के ही पीछे पड़ गई है. चलिए इस जानकारी के बाद मै ललित शर्मा आपको ले चलता हूँ आज की हिंदी चिट्ठों की चर्चा पर.........




0_8594आज पहल चिटठा लेते है मियां महफूज अली का, जिन्होंने चोरी करने के लिए गैंग बनाया था और स्कुल की वाट लगायी थी. लेकिन पुरस्कार में इन्हें गंगा राम की सेवा भी लेनी पड़ी थी. आप भी पढ़िए इस कथा  को जो महफूज भाई खुद कथा वाचक के रूप में सुना रहे हैं.
जब मैं चोरी करते पकड़ा गया..:- महफूज़
आज आपको अपने स्कूल का एक बहुत मजेदार संस्मरण बताने जा रहा हूँ. यह संस्मरण पढ़ कर आपको पता चलेगा कि मैं स्कूल में कितना बदमाश किस्म का लड़का था. चंचलता व बदमाशी तो आज भी इस उम्र में भी (?) करता हूँ. बात उन दिनों की है जब मैं बारहवीं क्लास में पढ़ता था.





ब्लाग हिट कराऊ एवम टिप्पणी खींचू तेल
ताऊ जी ने अब बैद का काम भी शुरू कर दिया है और फुटपाथ पे लगा ली है तेल की दुकान. आप भी taau-oil4-1 आये और लाभ पायें श्रीमान, फुल डिस्काउंट है. सुबह से ही लाइन लगी हुयी है.हम तो बड़ी मुस्किल से धक्का मुक्की करके टिप्पणी खींचू तेल की बुकिंग करवा कर आये है. बड़े बड़े ब्लागर लाइन में खड़े हैं. आप भी जल्दी कीजिए और सेवा का लाभ उठाईये. कहीं पीछे ना रह जाएँ. माल ख़तम हो जाये.देखते रह जाएं।  जैसा कि आप जानते हैं ताऊ और रामप्यारी ने डाक्टर ताऊनाथ अस्पताल की स्थापना की थी. अस्पताल का काम अच्छा चल रहा था. डाक्टर ताऊ मरीज देखता था और रामप्यारी उनका कैट स्केन करके रोग का निदान किया करती थी. अस्पल का काम धुंआधार चल निकला था. आसपास के डाक्टरों की दुकानदारी बंद होने लगी थी. इस वजह से जलन रखने वाले डाक्टरों ने डाँ. ताऊ की शिकायत करदी कि डाक्टर ताऊ नकली झोला छाप डाक्टर है और कैट स्केन के नाम पर लोगों की छाती पर रामप्यारी को कुदवाकर पांच पांच हजार रुपये वसूलता है. और खासकर डाकटर झटका उन शिकायत कर्ताओं मे प्रमुख था. कुछ डाक्टर जो कैट स्केन के लिये मरीज भेजा करते थे उनने भी मरीज भेजना बंद कर दिये थे. और आपस मे लामबंदी करके ताऊ अस्पताल मे लोगों को आने से रोकने लगे. पर उन जलकूकडों के जलने से क्या होता है? जब रामप्यारी के कैट-स्केन से मरीजों को फ़ायदा हो रहा था तो सुबह पहले मरीजों की भीड लग जाती थी. जबकि दूसरे डाक्टर मक्खी मारा करते थे.





बहनों ये खास केश वर्धक तेल आपके लिये...इसके taau-oil2 इस्तेमाल से सिर्फ़ कुछ ही दिनों मे आपके बाल धरती को चूमते नजर आयेंगे. यह हमारा खास टेस्टेड नुस्खा है. आप अवश्य इस्तेमाल करके देखें. कीमत एक शीशी सिर्फ़ रु. 2500/ प्रति शीशी. इसके इस्तेमाल से सफ़ेद बाल भी काले होजाते हैं. जरुर आजमायें.. गंजे भी बालों के बोझ से परेशान हो जायेंगे. सुनहरी मौका...सिर्फ़ स्टाक रहने तक ...सीमित स्टाक..कीमत स्रेफ़ रु. 2500/= प्रति शीशी मात्र! ताऊ कद वर्धक तेल के इस्तेमाल के पहले और taau-oil3 बाद मे रामप्यारी! भाईयो और बहनों, हमारा कद वर्धक तेल इस्तेमाल करें और अपनी हीन भावना मिटायें. आज कल लंबे लोग जीवन के हर क्षेत्र मे सफ़ल हैं. चाहे आपको एयर-होस्टेस बनना हो या कहीं हीरो हिरोइन बनना हो, फ़िल्म और टीवी सीरीयल मे काम करने वाले, और मोडल बनने के इच्छुक बहन भाई तुरंत इस्तेमाल करे और लाभ उठाये. शर्तिया और ग्यारंटेड इलाज का दावा. फ़ायदा ना हो तो पैसा वापस. कीमत मात्र रु 2500/= प्रति शीशी!





देवकीनन्दन खत्री से अलबेला खत्री तक हिन्दी की यात्रा : माईक्रो पोस्ट sangiv tivari
मेरे पिछ्ले पोस्ट मे हुए टंकण त्रुटि पर ललित शर्मा जी की टिप्पणी पर भाई शरद कोकाश जी ने लिखा 'ललित जी के लिये एक शोध विषय का सुझाव - " देवकीनन्दन खत्री से अलबेला खत्री तक हिन्दी की यात्रा ". देवकीनन्दन खत्री जी का नाम हिन्दी के विश्व मानस पटल मे जाना







डॉक्टर टीएस दराल के तीन मरीज़...खुशदीप
सुबह डाक्टर टी एस दराल अपने नर्सिंग होम में बैठे हुए थे...एक पहलवानुमा मरीज़ कमर दर्द से कराहता हुआ डॉक्टर दराल के चैम्बर में पहुंचा...मरीज़ का बुरा हाल था...डॉक्टर साहब ने उसे बेड पर लिटा कर चेक किया...फिर कहा...ओके, ठीक हो जाओगे...लेकिन तुम्हारी कमर को

निमंत्रण: शास्त्री परिवार!
मेरे बेटे आनंद का कुमारी अर्पिता के साथ शुभ विवाह (23 जनवरी 2010) पर सारथी के सारे मित्रों का स्वागत है.   विवाह स्थल: भारतमाता कालेज, त्रिक्ककारा, एर्नाकुलम समय: 23 जनवरी 2010, प्रात: 11 बजे सस्नेह — शास्त्री परिवार

करना ही है कुछ तो फिर कमाल कीजिये....
फ़िज़ूल के न कोई भी सवाल कीजियेकरना ही है कुछ तो फिर कमाल कीजिये काम ले लिए बहुत  इस रौशनाई से  कुछ सफ़े अब खून से भी लाल कीजिये उम्मीद क्यूँ छुपी हुई डरे हुए बदन चीखती सी रूह है  बवाल कीजिये जग गई हर गली और जग गया वतन बंद आखें खोलिए मशाल







कलम के योद्धा पी.सी.गोदियाल-"चिट्ठाकार चर्चा
उत्तर भारत में कड़ाके की सर्दी पड़ रही है और इसका असर मुंबई तक दिखाई दे रहा है. इस सर्दी से बचने के लिए सियासी दलों ने अपने-अपने अलाव जला रखे हैं और अपने हाथ सेंक रहे हैं कभी किसी को मौका मिलता है तो वो भी अपनी रोटी सेक लेता है. अब टैक्सी चालकों के लिए

एक संवाद, जो बदल देगा जिन्दगी
धूप की चिड़िया मेरे आँगन में खेल रही थी, और मेरी माँ की उंगलियाँ मेरे बालों में, जो सरसों के तेल से पूरी तरह भीगी हुई थी। इतने में एक व्यक्ति घर के भीतर घुस आया, वो देखने में माँगने वाला लगता था। उसने आते ही कहा "माता जी, कुछ खाने को मिलेगा"। घर कोई आए और

मेरे घर की खुली खिड़की से .....
मेरे घर की खुली खिड़की सेअलसुबहजगाता है मुझेचिड़ियों का कलरव गान.....ठिठोली कर जाती हैरवि की प्रथम किरणअंगडाई लेते कई बार.....पूरनमासी का चाँद भीझेंपता हुआ साझांक लेता है बार -बार....झर-झर झरते पीले फूलदेते हैं दस्तकखिडकियों पर कई बार.....मीठी तान छेड़








हम तो 17 दिनों से बेकार हैं, क्या करें?
बात आज से ठीक 17 दिनों पहले की है, तब हमें मालूम नहीं था कि हम इस दिन अचानक बेकार हो जाएंगे। वैसे बेकार होने की शंका तो हमें पहले से थी, लेकिन हम इतनी जल्दी बेकार हो जाएंगे सोचा नहीं था। लेकिन क्या करते बहुत समय हो चुका था

चहुं ओर प्रकाश फेकने वाले दीप को ही हम सुंदर कह सकते हैं !!
आध्‍यात्मिक ज्ञान सहित जीवन प्रदत्‍त शिक्षा के लिए भारत विश्‍व में अग्रणी रहा है। साम्‍य भाव के स्‍तर पर निर्धन , धनी शिष्‍यों की एकता , नैतिकता और कर्मठता का पाठ व्‍यावहारिक , शैक्षिक स्‍थल से ही जिन गुरू आश्रमों में परहित भाव से

मुझे अतीत ही अच्छा लगता है क्योंकि मैं वृद्ध हूँ ... पर इसका मतलब यह नहीं होना चाहिये कि मैं युवाओं को बोर करूँ
यह एक स्वाभाविक बात है कि पुरानी पीढ़ी वर्तमान में रहते हुए भी अतीत में जीने का प्रयास करती रहती है जबकि नई पीढ़ी के लिये वर्तमान ही सबकुछ होता

माँ नर्मदा जयंती के शुभ अवसर पर नर्मदा तट के किनारे स्थित धार्मिक स्थानों की चर्चा
मेरा जन्म माँ नर्मदा पवित्र नदी के किनारे बसे शहर जबलपुर में हुआ है मुझे बचपन से मै नर्मदा से काफी लगाव रहा है माँ नर्मदा जयंती के शुभ अवसर पर








मैं आग था, फूलों में तब्दील हुआ कैसे? बच्चों की तरह चूमा उसने मेरे गालों को।
-बशीर 'बद्र'-तलवार से काटा है फूलों भरी डालों को।दुनिया ने नहीं चाहा हम चाहने वलों को।मैं आग था, फूलों में तब्दील हुआ कैसे?बच्चों की तरह चूमा उसने मेरे गालों को।अख्लाक, वफ़ा, चाहत सब कीमती कपड़े हैं,हर रोज़ न ओढ़ा कर इन रेशमी शालों को।बरसात का मौसम तो

"सच्चे दोहे" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
मेरे कुछ दोहे-रफा-दफा जब कर दिया, चोरी का सामान।वापिस फिर से चाहता, बेईमान सम्मान।।धमका रहा समुद्र को, खारा बिन्दु एक।ज्वार जगाता सिऩ्धु में,किंकुड़िया को फेंक।।सज्जनता की आड़ ले, शठ् करता आखेट।कोतवाल को जाल में, डाकू रहा लपेट।।कल तक जो मासूम था, आ

...और फोन पर आई भूत की आवाज
अचानक मेरे एक साथी का फोन आया नए वर्ष की बधाई देने के लिए लेकिन मुझे भूत-पिशाच याद आने लगे. मेरे नाम के आगे ओझा जरूर लगा है लेकिन भूत से कोई वास्ता नहीं पड़ा है अभी तक. पता नहीं क्यों मेरे साथी अमित गुप्ता का फोन आते ही भूत याद आने लगते हैं. अमित अम्बाला

नाहों कि फेहरिस्त, किसी को दिखानी नहीं होती
रोज़ दिखते हैं,ऐसे मंज़र कि,अब तो ,किसी बात पर ,दिल को,हैरानी नहीं होती॥झूठ और फरेब से,पहले रहती थी शिकायत,पर अब उससे कोई,परेशानी नहीं होती॥रोज़ करता हूँ ,एक कत्ल,कभी अपनों का,कभी सपनो का,बेफिक्र हूँ ,गुनाहों कि फेहरिस्त,किसी को दिखानी नहीं होती॥लोग







बङगङां बङगङां बङगङां-4
भाग -१ ,भाग-२ , भाग-३ का शेष ...............वैध ने गिडगिडाकर कहा - ' महाराणा ! यह बातें सब बातें छोड़ दीजिए , ईश्वर का नाम लेने का समय आ गया है | ''अच्छी बात है | हे प्रभु ! हे ईश्वर एकलिंग नाथ ! मुझे मोक्ष मत देना | वापस इसी संसार में इसी देश में भेजना

माखोरों के विरोध में आम जनता को जागृत होना होगा
कहते हैं कि सुधार सरकारे नहीं समाज करता है। लेकिन आज हम सब सरकारों के मुँह की ओर ताक रहे हैं। सरकारों को वे लोग संचालित कर रहे हैं जिनके पास शक्‍कर की ‘मिले’ हैं, हजारों बीघा जमीन हैं। क्‍या ऐसी सरकार और ऐसे मंत्री जमाखोरों को सबक सिखा सकते हैं? उदयपुर

मैंने जो किया वह सही है पर फिर भी अकेला हूँ क्यों ?-- (मिथिलेश दुबे)
कुछ भी सही लगता रहा न जाने क्यों गलत होते हुए भी ? हमेशा से एक तलाश अधूरी लिए दिल के कोने में कभी नहीं भटका अचानक ही कुछ ऐसा जिसकी मुझे जरूरत थी पर शायद उम्मीद तो कभी भी न थी । पहली मुलाकात की याद शायद ही कभी जेहन से उतर पाये । इन सब के बीच खुद इतना खुश






चेहरा छुपा दिया है हमने नकाब में-36
दिन को चैन नहीं...रात को आराम नहीं... आ...खोल के कम्प्युटर देखेँ ज़रा पोस्ट पे टिप्पणियाँ मिली हैं या नहीं दोस्तो...मेरी इस पहेली का मकसद आप सभी ब्लॉगर साथियों का आपस में एक-दूसरे से परिचय करवाना था ...उम्मीद है कि अपने इस कार्य में मैं सफल भी हुआ

कुछ त्रिवेनियाँ ..........
कुछ त्रिवेनियाँ ......(१)नज्में भी चीखतीं हैं देखअपने ज़िस्म परछाई अबकितना जहरीला था वह धूवाँ जो तुम उगलते रहे ....(२)ख़ामोशी ईंट दर ईंटबनाती रही अपना मकांफासलों की रात हँसी नहीं बाँटती .....(३)न हवा ने मिन्नतें की , न क़दमों पे गिरीन ख़ुदकुशी के लिए की





“केवल कविताएँ ही कविताएँ” (चर्चा मंच)
"चर्चा मंच" अंक-38 चर्चाकारः डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक" आइए आज का "चर्चा मंच" सजाते हैं- आज की चर्चा में प्रस्तुत है-केवल कविताएँ ही कविताएँ! कमलेश वर्मा पटियाला , बाराबंकी, पंजाब , उत्तरपरदेश, India गुलशन वीराने हो गये..!!! गुलशन वीराने हो गये तेरे





रविवार को मिलेंगे ब्लागर और चर्चा करेंगे छत्तीसगढ की वास्तविक स्थिती के प्रचार-प्रसार परइस मीट की योजना काफ़ी समय से बन रही थी लेकिन मिलना हो नही पा  anilPUSADKARरहा था।भिलाई की मीट के बाद भिलाई के साथियों ने रायपुर आकर मिलने का प्रस्ताव रखा था जिसे राजतंत्र वाले राजकुमार ग्वालानी ने मुझे बताया।मैंने सहर्ष मंज़ूरी दे दी थी लेकिन तारीख के मामले मे थोड़ा गड़बड़ हो गई।उसी दिन प्रेस क्लब की एक आवश्यक बैठक होनी थी और उसके बाद मुझे यंहा राजधानी के नव-निर्वाचित पार्षदों के सम्मान समारोह मे मुख्य अतिथी के रूप मे शामिल होना था।दोनो कार्यक्रमों का समय ऐसा था कि मेरा ब्लागर मीट मे जाना संभव नही था सो मैने राजकुमार से पास अपनी छूट्टी की एप्लिकेशन भेज दी









कार्टून :- रंगों में रंग...फ़िरंग
Australia

पंकज मिश्रा बता रहे है ताऊनंद का चमत्कार , जब ताऊनंद ने सोटी से ट्रेन रोकी !

कुछ दिन बाद एक दिन ताऊनंद अपने आश्रम मे बैठे थे अचानक बोदूराम से बोले –बोदूराम आज मै बहुत खुश हु तुम मुझसे चाहे जो कुछ भी माग लो !

बोदूराम बोला –महराज मुझे आपकी हर कला मालूम है लेकिन मै आज तक उस ईलाहाबाद वाली घटना समझ नही पाया कि आपने ट्रेन कैसे रोका था!

ताऊनंद –बेटा बोदूराम बहुत सीक्रेट बात है,taau-bodu3

मै  ट्रेन के ड्राईवर को पैसा दे रखा था और साथ मे हिदायत कि जब तक मै सोटी ना हटाऊ तुम अपना पैर ब्रेक पर से मत हटाना

अब चर्चा को देते हैं विराम-सभी को ललित शर्मा का राम-राम

23 comments:

Udan Tashtari said...

वाह, ललित भाई..बहुत विस्तृत चर्चा रही. जबरदस्त कवरेज. अभी तो ढेरों लिंक्स पर जाना शेष है.

Khushdeep Sehgal said...

शेर-ए-चर्चा...

जय हिंद...

संगीता पुरी said...

बहुत बढिया चर्चा .. ढेरो अच्‍छे अच्‍छे लिंक्स मिले !!

वाणी गीत said...

एक साथ इतने सारे अच्छे लिनक्स ...बहुत आभार ...!!

Gyan Darpan said...

बहुत बढिया चर्चा

ताऊ रामपुरिया said...

देखते ही लग जाता है कि यह ललित-चर्चा है. बहुत शानदार.

रामराम.

राजकुमार ग्वालानी said...

बहुत ही बेहतरीन चर्चा

Unknown said...

तेरे चर्चे की क्या तारीफ करूँ ....

डॉ. मनोज मिश्र said...

सुंदर चर्चा .

राजीव तनेजा said...

बढ़िया चिट्ठाचर्चा

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

वाह ललित जी बहुत ही बेहतरीन चर्चा !

स्वप्न मञ्जूषा said...

बहुत ही बेहतरीन चर्चा.....

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

सुन्दर चर्चा!
सोमवार का मेरा दिन है!
भूल मत जाना!

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

बहुत ही बेहतरीन चर्चा !

Arvind Mishra said...

विस्तृत और व्यापक -आभार

राज भाटिय़ा said...

सुंदर चर्चा जी.

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...

कमाल है ये चिट्ठों की दुकान
दाम भी वाजिब हैं श्रीमान!!
अति सुन्दर ललितकला :)

समयचक्र said...

बहुत बढ़िया अच्छी रचना की है ललित जी बधाई......

समयचक्र said...

बहुत बढ़िया अच्छी चर्चा की है. अच्छे पोस्टो का समावेश हैं . ललित जी बधाई......

मनोज कुमार said...

अच्छी चर्चा ।

अविनाश वाचस्पति said...

ऐसा भी होता है
एक तरफ ताऊ का तेल
दूसरी तरफ ताऊ का सोटा
देखा बेटा।
कुछ भी नहीं फेल
रूक जाती है रेल।

Himanshu Pandey said...

वाह ! चर्चा बेहतरीन रही ! आभार ।

Mithilesh dubey said...

बहुत कुछ समेटे लाजवाब चर्चा रही ।

पसंद आया ? तो दबाईये ना !

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