आज के चर्चा की शुरुआत हम उससे करते है जिसके चलते आज हम आपसे जुड़े है जी हां बात हो रही है इन्टरनेट की . आज इन्टरनेट चालीस का हुआ .
ओ ओ ऊ ऊ..पहाड़ और नदिया के किनारे
हम फिरते मारे मारे
कोई तो आ रे आ रे आ रे
मेरी जान बचा रे बचा रे!!!!
ओ ओ ऊ ऊ..
पहाड़ और नदिया के किनारे
ओ ओ ऊ ऊ..बह्हू बह्हू!! समीर लाल "समीर "दूसरी तरफ मास्टरनी नामा पर आज है शेफाली पाण्डेय जी
उस अवधि में माँ - बाप बच्चे के अन्दर कौन से संस्कारभरते हैं ,यह भी विचारणीय प्रश्न है और आज के व्यस्त माता -पिता अपने
बच्चे को कितना समय देते हैं ? इस बात का भी इमानदारी से जवाब देना होगा,
कितने माता पिता ऐसे हैं जो बच्चों को यह सिखाते हैं कि अपने टीचर्स की
इज्जत करनी चाहिए, उनकी बात माननी चाहिए ?
थक कर और किधर जाऊँगाशाम ढलेगी, घर आऊँगा।
प्यास लबों पर रहने भी दो
प्यास बुझी तो मर जाऊँगा।
ये उपर लिखी रचनाये लोकमन्च पर आज लिखी हुई है राजमणि के द्वारा .
प्रकृति की माया बता रहे है राजस्थान से कमलेश शर्मा जी . आप भी देखिये कि कमलेश जी ने कितने नजदीक से प्रकृति को महसूस किया है .
उपर ताजमहल की फोटो जो कि प्रबुद्ध जी के द्ववारा निकली गई है .
आँखों में उनकेढेर सारा नींद बिछा है
और पलकों पे सलवटें हैं
रात भर
इक नज्म क़ी मिट्टी कोडते रहे वो
रात भर
सांस फंसी रही उनकी मिट्टी में
पर ना कोई शक्ल
कुछ लब्ज पसरे हुए हैं जैसे मीलों चलकर आये हों कहीं से
श्यामल सुमन जी अपने कविताओं में वो भाव रखते है कि आप लगातार १० बार एक एक लाइन को पढेगे तो भी नहीं थकेगे
.
यदि है नसीब तो इस कदर, तूने क्यों लिखा ऐ मेरे खुदासमदर्शिता छूटी कहाँ, क्यों अमीर कोई गरीब है
तारों की नुमाईश में खलल पड़ता है , चाँद तो पागल है आधी रात को निकल पड़ता है
मेरी पीड़ा की, मेरे इस विछोह की...
और नीचे ब्लागजगत मे हो रहे विवाद पढिये .
सावधान! सावधान!! राजेश की बातों में न आना, ये राजेश "स्वच्छ संदेश: हिन्दोस्तान की आवाज़" वाला सलीम है.
आज के लिये इतना ही . कल फ़िर मिलेते है तब तक के लिये नमस्कार
.
2 comments:
बहुत खुब ........
शानदार चर्चा!!
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