कल की चिट्ठा चर्चा सुबह ९ बजे प्रकाशित हुआ क्युकी किसी भाई ने मेरा पासवर्ड जानने की कोशीश कि और मेरा अकाउंट कुछ देर केलिए बंद हो गया था !!!
आप मेरा पासवर्ड जानने की कोशीश मत करिए यह बहुत लंबा है , पासवर्ड यार !!!!
ताऊ जी की ख़बर !!!
हमेशा सौम्य और शांत रहने वाले उडनतश्तरी ने खामोश रहना मुझे पसंद है. पोस्ट पर आई हुई टिप्पणीयों के
साथ ही खामोश रहते हुये ही एक इतिहास रच दिया है. हिंदी ब्लागजगत मे सिर्फ़ ३३९ पोस्ट पर १५०००
टिपणी सर्वप्रथम प्राप्त कर नया रिकार्ड बनाया है.
उडनतश्तरी की सफ़लता इस मायने मे भी काबिले तारीफ़ है कि पहले साल मे भी उन्होनें प्रति पोस्ट ३४ कमेंट का रिकार्ड बनाया था. और अब ४५ कमेंट प्रति पोस्ट का नया रिकार्ड है.
अगर उस समय श्री राम स्वयं के लिए वधू चुनते तो क्या तब भी उसको स्वयंवर
कहा जाता, कदापि नहीं क्योंकि उस समय के लोगों की हिन्दी आज से कई गुना
बेहतर थी, वो स्वयंवधू कहलाता। वर लड़की चुनती है और वधू लड़का। शायद मीडिया
राखी का स्वयंवर देख भूल गया कि स्वयंवधू नामक भी कोई शब्द होता है।
हां, तब शायद राहुल का स्वयंवर शब्द ठीक लगता, अगर वो भी लड़कों में से ही अपना जीवन साथी चुनते, दोस्ताना फिल्म की तरह।
तो भाई अब यदि भारत मैं कोई आपसे केहुनी-मिलन (elbow shake) करना चाहे तो
चौकियेगा नहीं | क्या पता भारत मैं भी केहुनी मिलन का प्रचलन आरम्भ हो गया हो और हमें पता ही नहीं ! वैसे भी अपन देशी लोग तो आँख मुंद कर कॉपी करने
मैं माहिर हैं | चेतावनी : भूल से भी अपनी केहुनी किसी आर्जेन्टिना वालों
से नहीं मिलाना, लेने के देने पड़ सकते हैं
अपना दीन-ओ-ईमान हम लुटा बैठें हैं
देखें तुझ पर भी कोई असर है के नहीं
जंगल की आग ने सबकुछ जला डाला
उसे भी मेरे घर की खबर है के नहीं
मन चंचल गगन पखेरू है,
मैं किससे बाँधता किसको.
मैं क्यों इतना अधूरा हूँ,
की किससे चाह है मुझको.
वो बस हालात ऐसे थे,
कि बुरा मैं बन नहीं पाया.
एक दिन मम्मी लाईट वाली अलमारी साफ कर रही थी... अरे वही अलमारी जो ठण्डी
भी होती है....मम्मी ने उसका सारा सामान बाहर निकाल कर साफ करने रख दिया..
और मैं... मैं मौका देख उस अलमारी में घुस गया.. बड़ा मजा आया उसमें..
अंतर्जाल उर्फ़ नेट जैसे महान माध्यम का, कुछ अपराधी प्रवृत्ति वाले लोग, गलत इस्तेमाल कर रहे है, यह दुःख की बात है. संजीव तिवारी के नाम का सहारा लेकर किसी ने चर्चित -ब्लागर जयप्रकाश मानस (वेब पत्रिका-सृजनगाथा वाले ) पर कीचड उछलने के बारे में मुझे पता चला है। यह कदम निंदनीय है। मै देख रहा हूँ, कि संजीव तिवारी (ब्लॉग का नाम- आरम्भ)
दिन भर की भाग -दौड़ के बाद जब बिस्तर पर लेटे होगे ,
और मेरे ख्यालों को लपेटे
आँखे मूँद सोचे होगे ,
अच्छी बुरी कई बातें
तुम्हारी नज़रों में होगी ,
पर मेरी बेतुकी बातें तुमको
तकलीफे दे रही होंगी ।
कुत्ते के साथ बलात्कार के दोषी टेक्सी ड्राइवर को नहीं मिली जमानत
यह अपने आप में अनोखा होने के साथ-साथ भारतीय कानून-कायदे के इतिहास में
इस तरह का शायद पहला मामला है। कुत्ते का बलात्कार करने के आरोप में 30
अगस्त से जेल में बंद मुंबई के टैक्सी ड्राइवर की जमानत याचिका सेशन कोर्ट
ने खारिज हो गई है। आरोपी ड्राइवर का तर्क है कि उसे बेल दे दी जानी चाहिए
क्योंकि पुलिस पीड़ित का बयान रेकॉर्ड नहीं कर सकी है
वो करते थे इन्तज़ार चाँद का हर रोज़,
कुछ दिनों से चाँद को उनका इन्तज़ार है,
हर रात को देखता है राह उन दोनो की, गुरनाम सिंह
उन्हे फिर से खुश देखने को वो बेकरार है,
पुष्प की गंध से कुछ खटक सी गई,
नैंन-सैंन चुंबन की ले-दे फ़टाफ़ट हुई।हवायें बेचारी सब गुमसुमा सी गईं
शाम मारे शरम के हो गई सुरमई
भौंरें भागे सभी सर पे धरे अपने पंख
तितलियां फ़ूल में बस दुबक सी गयीं।
कली जो सुकुमार खिल रही थी उधर
वो भी बेचारी सहमकर झटक सी गयी।
विधि का विधान विधना ने कब है टाला,
उसके लिखे से मिले हर मुंह को निवाला ।
कर्म किये जा फल की इच्छा मत कर कहे
तो सब पर होवे क्या जब मन हो मतवाला ।
सुख के सेवरे में दुख की काली रात छुपी,
समीर लाल जी की १५ हजार टिप्पणिया
, बधाई स्वीकार करे मेरी , पंकज मिश्रा
ताजा खबर यह है कि इण्डियन एक्सप्रेस ने दावा किया है कि उसके
पास वह कागजात हैं जिनसे प्रमाणित होता है कि एस एम कृष्णा के मंत्रालय के
एक सक्षम ज्वाइंट सेक्रेटरी ने पूरी कोशिश की कि मंत्री जी के पंचसितारा
रिहाईश का बिल सरकार भरे।
हरिओम तिवारी
मुझे होने पे अपने गुरुर है
बस एक-मुश्ते गुबार हूँ
समझूँगा मैं तेरी बात क्या
पत्थर की इक मैं दीवार हूँ
बच के निकला था ख़ुशी से मैं
मैं सोगो ग़म का बाज़ार हूँ
मैंने जो क्षण जी लिया है
उसे पी लिया है ,
वही क्षण बार-बार पुकारते हैं मुझे
और एक असह्य प्रवृत्ति
जुड़ाव की
महसूस करता हूँ उर-अन्तर.
आंगन में मंदिर के ऐन मुख पर, यानी शुरुआत में नंदी की भारी भरकम प्रतिमा है, जो धर्म एवं आनंद का ही प्रतीक है। नाटय कला में यह नांदी पाठ के शुरुआती अनुकर्म में भी फलित होता है। संभवत: इस पशु प्रतीक का संबंध एक कृषिमूलक सभ्यता की शुरुआत से हो। इसी नंदी के पीछे एक बड़ा चौकोर गढ़ा है जो यजन (यज्ञ) के काम आता है। पुरातत्त्व के विद्वानों का मानना है कि लिंग, मातृमूर्तियां, नाग-यक्षों
जैसी प्राकृतिक शक्तियों की पूजा द्रविड़ों से आई है और फिर पूजा में
भक्तिपरक मनुष्याकार मूर्तियां भी वहीं से विकसित हुईं। आर्यों के प्रतीक
अमूर्त थे.
सच्चाई की कसौटी पर
कसने के लिए जब अग्नि साक्षी मानकर खड़ी हुई,
ऑंखें नम हुई,
ओंठ थरथराने लगे क्या करने जा रही हूँ? औरों की नजर में
ख़ुद को औ' अपनों को उघाड़ने जा रही हूँ.
रास आया नही मुझे जिंदगी का इस तरह से चले जाना
और गम का मुझको इस तरह से छले जाना ॥ मैं जाता देख उसको खाली हाथ सी खड़ी ही रह गई
न समझ आया उसे मेरा बार बार रुकने को कहे जाना ॥ वो ऐसी रात थी जिसमें मेरे सब ख्वाब रोये थे
उम्मीद की कोख में जिंदगी ने दर्द के बीज बोए थे रात भर जागकर भी पूरी न हुई जीने की हसरत
तय ही था सुबह का अपनी आंखों को मले जाना ॥
एक ही दौलत पास मेरे,
तेरे नाम ओ, तेरी यादों की
जो रस्में निभाने हम तरसे
जो नहीं किये उन वादों की
तोरे पाकिस्तान का का हाल है ?
" गंगौली के वास्ते ना न करियो कोशिश ?"
"गंगौली का क्या सवाल है ?"
"सवाल न है त हम्में पकिस्तान बनने या न बनने से का ?"
" एक इस्लामी हुकूमत बन जाएगी ।"
"
कहीं इस्लामू है कि हुकुमतै बन जहिए । ऐ भाई, बाप-दादा की कबर हियाँ है,
चौक इमामबाडा हियाँ है , खेती-बाडी हियाँ है । हम कौनो बुरबक है की तोरे
पकिस्तान जिंदाबाद में फंस जाएँ ।"
14 comments:
सुंदर चिट्ठा चर्चा..धन्यवाद
समीर लाल जी!
बस इतना ही कहना चाहता हूँ-
आपको सब करते हैं प्यार,
इसीलिए तो हो गई हैं-
टिप्पणियाँ पन्द्रह हार के पार!!
भइया चुप रहने में ही भलाई है।
हुन्गामा के हंगामें से
अपने राम को क्या लेना-देना।
सही रास्ता चुना है,
दूर-दूर रह कर ही मजा लेना!!
आज की चिट्ठा चर्चा में तो आनन्द आ गया।
मिश्रा जी आपके श्रम के नमन!
आज तो चिट्ठा चर्चा में कई आयाम सिमट गये हैं । कविता चयन, आलेख चयन सब कुछ प्रसंशनीय है । नेट ठीक तो अभी भी नहीं हुआ है पंकज भाई ! हेमन्त के पीसी से ही बहुत कुछ काम कर रहा हूँ । आभार।
दमदार चर्चा, बहुत मेहनत की है आपने..
हैपी ब्लॉगिंग
अच्छी लगी .... :)
खूब मिहनत की है |
ांच्छी चर्चा है खूब मेहनत की है आभार्
बाबा समीरानानद की तिपन्नियाँ हुई हैं १५ हज़ार
हम भी उनको दिखायेंगे अगले जनम अगली बार
चिटठा चर्चा इतना रोचक कैसे करते है तैयार
इसबार तो हम झलके हैं इहाँ पर दो-दो बार
धन्यवाद का डबल डोज कर लीजिये स्वीकार
कल फिर हम आयेंगे हुजुर आपके इस दरबार.
हम तो करबे कर रहे हैं आप भी कीजिये इंतज़ार
सुन्दर चर्चा।
दुर्गा पूजा एवं दशहरा की हार्दिक शुभकामनाएँ।
( Treasurer-S. T. )
वाह जी बहुत बधाई और शुभकामनाएं. आपने काफ़ी विस्तार दिया है इस चर्चा को, आपकी मेहनत रंग ला रही है.
रामराम.
लाजवाब चर्चा ......... मज़ा आ गया कुछ नए चिट्ठे हाथ आ गए .......
बधाई के आपका और सभी का आभार. सब आप लोगों का ही स्नेह है.
चिट्ठाचर्चा बहुत विस्तृत और मजेदार रही. बधाई एवं शभकामनाएँ.
Sarthak sateek dilchasp charchaa
BADHAIYAAN
सुंदर चर्चा.
सार्थक चर्चा... बधाई..
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