Friday, January 15, 2010

कटी भी और लुटी भी नहीं ..कैसी किस्मत है-छुपे तीन ब्लॉगर पकड़ाये "चर्चा हिंदी चिट्ठों की"(ललित शर्मा)

कल मकर सक्रांति के पर्व के बाद आज सुबह कुछ ज्यादा ही ठंडक लिए हुए आई, साथ में सूर्य ग्रहण भी लेकर आई. पौष कृष्ण अमावश्या यानि आज १५ जनवरी को भारतीय समय के अनुसार उत्तराषाढ़ा नक्षत्र मकर राशि में कंकणाकृति सूर्य ग्रहण होगा जो सम्पूर्ण भारत में दिखाई देगा. सूर्य ग्रहण को खुली आँखों से नहीं देखने की चेतावनी वैज्ञानिकों ने जारी की है. खुली आँखों से देखने से दृष्टि खोने का भी खतरा बताया गया है. अब मैं ललित शर्मा ले चलता हूँ आपको आज की हिंदी चिट्ठों की चर्चा पर. 
 
सबसे पहले चलते हैं जिंदगी के मेले पर, यहाँ बी.एस.पावला जी एक नेट उपयोग कर्ताओं के लिए एक निहायत ही जरुरी जानकारी दे रहे हैं. आज इंटरनेट से ठगी-चोरी हो रही हैं. इनसे बचना जरुरी है.नकली पंजाब नेशनल बैंक ने यूज़र आई डी पासवर्ड जानने के लिए फेंका चारा: फंसने से मैं कैसे बचा? कल जब मैंने अपना ईमेल खाता लॉगिन किया तो पंजाब नेशनल बैंक से आई एक ईमेल दिखी। किन्हीं मुद्दों पर पिछले वर्ष दो तीन संदेश मैंने पंजाब नेशनल बैंक की वेबसाईट से, उसके निर्धारित ऑनलाईन फॉर्म से भेजे थे। मेरा एक खाता इस बैंक में भी है। नहीं तो आर्थिक नुकसान भी हो सकता है. 

ताऊ डाट इन पर ताऊ....वो जो हम मे तुम मे करार था  उसका क्या हुआ? करार तो हमेशा तोड़ने के लिए ही होते हैं. इस्लिएय यहाँ पढ़िए किससे, कब और क्या करार था. ताऊ-कल हमने एक पोस्ट लिखी थी...अरे ताऊ "गंभीर देवी तुमको जीने नही देगी और मुस्कान देवी तुमको मरने नही देगी. उस पर हमारे गुरुदेव समीरलाल जी ने यह कहा कि अपना गंभीर लेखन का नमूना भी चेप देते तो फ़ैसला देने में आसानी होती.आप सभी ने आपके सुझाव दिये जिसके लिये

कुम्भ का मेला प्रारंभ हो चूका है. जिसका नाम ही कुम्भ हैं यहाँ एक से एक नज़ारे देखने मिलते हैं. दुनिया के सभी रंग यहाँ समाये हुए हैं.कुंभ के मेले के हाईटेक साधु आये हुए है. साधू हाई टैक क्यों ना हों ये भी इसी समाज से ही आये हैं जिसमे हम रहते, अगर पढ़ लिख कर किसी व्यक्ति के मन में बैराग जग जाये तो सन्यास ले लेता है. एक हमारी पहचान के डॉक्टर हैं जो शहर के प्रशिद्ध बड़े हास्पिटल में अपनी सेवाएं आई.सी.सी.यु. हेड के रूप में दे रहे हैं. उन्होंने सन्यास ले लिया है. दो जोड़ी कषाय वस्त्रों के अलावा उनके पास कुछ भी नहीं है.अस्पताल प्रबंधन जो भी देता है स्वीकार कर लेते हैं तथा २४ घंटे कि सेवा देते हैं.


अमरेन्द्र नाथ त्रिपाठी अवधी भाषा में लिखते हैं.बड़ा अच्छा लगता है पढ़ कर. अवधी भारत में प्रचलित भाषा है और रामचरित मानस के माध्यम से घर-घर में पढ़ी जाती है. इसलिए अन्य भाषा-भाषी को भी समझ में आ जाती है.सबको खिचरी के तिउहार पै सबका सुभकामना देते हुए एक ललित निबंध लिख कर भारत के विभिन्न राज्यों में संक्राति मनाने के तौर तरीको से अवगत करा रहे हैं, ई गजब कै संजोग है कि कमोबेस यही समय पूरे भारत मा तिउहार मनावा जात है .हाँ अलग -अलग नाम भले हुवैं तिउहार कै , मसलन तकरीबन यही समय ( यकाध दिन आगे पीछे) जम्मू, हरियाणा, पंजाब मा 'लोहड़ी' मनाई जात है , 

अपने ब्लॉग ज्ञान दर्पण पर रतन सिंग जी सक्रिय रूप से तकनीकि जानकारियों के साथ राजस्थानी संस्कृति से भी परिचित करते रहते हैं.  आज लेकर आये हैं दुर्भाग्य का सहोदर -२ जब वह रणभूमि में उतरता है तो ऐसा लगता है जैसे कोई कुशल कथावाचक वीर रस के किसी किसी सरस छंद का मनोयोग से पाठ कर रहा हो ; जैसे कोई उलझी हुई समस्या वर्षों से प्रयास के बाद अपना ही हल निकलने जा रही हो ; जैसे ईश्वर का अचूक अभिशाप अपने दुर्दिनों के दुर्भाग्य को पीस डालने के लिए बाहें चढ़ा रहा हो | जब उसके तरकश के बाण निकलते थे तो एसा प्रतीत होता था जैसे मोहमाया से हरे भरे संसार पर क्रुद्ध होने के कारण प्रलय की आँखों में चिंगारियां निकल रही है ,


एक प्रतिभा से परिचय करा रहे हैं मोहन लाल गुप्ता जी.कर्मयोगी डॉ. अंजु सुथार अंजुम तखल्लुस से पहचानी जाने वाली डॉ। अंजु सुथार का जन्म 1 फरवरी 1974 को नागौर जिले के जसवंतगढ़ गांव में हुआ। पिता श्री बजरंगलाल जांगिड़ के राजस्थान सरकार के जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग में अधिकारी होने तथा उनका लगातार स्थानांतरण होते रहने के कारण डॉ. अंजु की विद्यालयी शिक्षा सुजानगढ़, डीडवाना, सरदार शहर, नावां, सांभरझील आदि स्थानों पर हुई। स्नातक एवं स्नातकोत्तर शिक्षा सोना देवी सेठिया कन्या महाविद्यालय सुजानगढ़ में हुई।

अजय कुमार झा जी रेल चला रहे है  दो लाईनों की पटरी पर, जो पूरे ब्लोग नगर से गुजरी हैआप भी अवलोकन करें, लाइफ लाइन जैसे ही कोई गाड़ी है जिसका इंतजार रहता है लोगों को,साथ ही कह रहे हैं कि मुझे बहुत खुशी है कि , अब ब्लोगजगत में कम अब कम से कम ये शिकायत तो किसी को नहीं होगी कि ,पोस्टें तो लिखी जा रही हैं , मगर चर्चा नहीं होती ।आप खुद देख पढ रहे हैं कि किस तरह से नित नई चर्चाएं, एक से बढ के एक अंदाज ,कलेवर,और शैली में आपके सामने प्रस्तुत हो रही  है.

 हिमानी दीवान जी अभिव्यक्ति पर २००८ से सजग हैं अभी मैंने इस ब्लॉग को सरसरी तौर पर ही देखा है एक पोस्ट के माध्यम से प्रश्न कर रही हैं कि  है हर शक्स यहाँ इतना परेशान क्यों है? वो मैं ही थी जो इस सोच में थी कि हर शक्स यहाँ इतना परेशान क्यों है लेकिन देखिये वो भी मैं ही हूँ जो इस सवाल के जवाब कि एक किश्त यहाँ लिख रही हूँ ....सुनी पढ़ी बातों से नही बल्कि खुद अनुभव करके ...या कहूँ कि "खुद परेशां होंके हम समझे हकीक़त फ़साने कि " हुआ यूँ कि नौकरी कि तलाश में भटकते हुए मैं एक न्यूज़ चैनल के दफ्तर पहुची ...चैनल का नाम न जाहिर करते हुए सिर्फ ये कहना काफी होगा.
डॉक्टर महेश सिन्हा जी हमारे रायपुर शहर के सक्रीय ब्लोगर हैं उन्होंने तीन नए ब्लोगरों की खोज की है. इससे हमारी ब्लोगर बिरादरी में बढ़ोतरी ही है.वो कहते हैं रायपुर में छुपे तीन ब्लॉगर पकड़ाये मिलिए आप भी इनसे  एक ईमेल मिलता है मुझे भेजने वाले का नाम अभिषेक  प्रसाद , रहें वाले बिहार के अभी हाल मुकाम रायपुर पहले मेरे ब्लॉग की तारीफ  की जाती है और फिर मिलने की इच्छा जाहिर की जाती है साथ ही यह सूचना मिलती है उनका एक गिरोह है जिसमे उनकी दीदी प्रज्ञा और जीजा राजीव भी शामिल हैं.

भैया विवेक रस्तोगी जी कल बहुत ही जोरदार फायर हो गये. उनके क्रोध की लपट हमारे तक भी पहुंची, हम भी देखने गए, हमारे पहुँचने से पहले अजय कुमार झा जी फायर ब्रिगेड ले कर पहुँच गए थे. आप भी देखिये उनकी नाराज इतनी कैसे बढ़ी कि उन्होंने एक पोस्ट ही लगा डाली.हम बहुत दिनों से देख रहे हैं कि सारे चिट्ठाचर्चा वाले चर्चाकार शायद हमसे नाराज हैं क्यों, क्योंकि हमें लगता है कि सब हमसे नाराज हैं, क्योंकि हमारे ब्लॉग की लिंक ही नहीं दी जा रही है। हमें लगता है कि यह हमें नहीं कहना चाहिये पर फ़िर भी आज पता नहीं क्यों फ़िर भी कह ही रहे हैं।

पूर्णिमा बर्मन जी एक रहस्य पर से परदा उठा रही हैं, कजरारी आँखों का रहस्य खोल रही हैं, पता नहीं कितने शायरों और कवियों जोर लगा लिया इनका रहस्य जान नहीं पाए.कजरारी आँखों की दुनिया कायल है उस पर अरबी सुरमें में डूबी धुआँ धुआँ आँखों का जवाब नहीं उस पर भी आँखें अगर क्लियोपेट्रा की हों तो दुनिया जहान के साथ सौदर्य., स्वास्थ्य और फैशन की दुनिया के सारे वैज्ञानिकों का जीना हराम हो जाना स्वाभाविक ही है।

 अरविन्द मिश्र जी ने संक्रांति में पतंग के खेल पर एक पोस्ट लिखी है उनके कहने का अंदाज ही निराला है.कटी भी और लुटी भी नहीं ..कैसी किस्मत है इस पतंग की?कल बनारस में भी जमकर पतंगबाजी हुई .वो मारा , ये काटा ,वो पकड़ा जैसी आदिम सी किलकारियों और हुन्करणों से वातावरण गुंजायमान होता रहा और मुझे भी बचपन की यादों में बार बार सराबोर करता रहा .मगर वे उल्लास और उमंग  की यादें  नहीं थीं, कुछ कारुणिक थीं  ....कारुणिक इसलिए कि मैं बचपन में कभी  भी पतंग उड़ा पाने में कामयाब नहीं हो पाया था ..और हर बार की मकर संक्रांति मेरी  उस असफलता ग्रंथि को कुरेद कर आहत कर जाती है .वैसे उस बाल्य पराजय के पीछे उन हिदायतों का भी बहुत बड़ा योगदान था जो पुच्छल्ले की तरह हमेशा मेरे साथ लगी रहती थीं.

पढ़िए वीर बहूटी  पर निर्मला कपिला जी कहानी संजीवनी जैसे ही मानवी आफिस मे आकर बैठी ,उसकी नज़र अपनी टेबल पर पडी डाक पर टिक गयी। डाक प्रतिदिन उसके आने से पहले ही उसकी टेबल पर पहुँच जाती थीपर वो बाकी आवश्यक काम निपटाने के बाद ही डाक देखती थी। आज बरबस ही उसकी नज़र एक सफेद लिफाफे पर टिक गयी जो सब से उपर पडा था।उसके एक कोने पर भेजने वाले के स्थान पर *वी* लिखा था। पहचान गयी,पत्र विकल्प का था। क्या लिखा होगा इस पत्र मे?वो सोच मे पड गयी। कभी पत्र लिखता नहीं है । टेलीफोन पर बात कर लेता है। अब तो चार महीने से न टेलीफोन किया

आज  के लिए महत्वपूर्ण पोस्ट है जानिए खंडग्रास सूर्यग्रहण की अवधि किस शहर में कितनीदिल्लीः11.53-3.11 बजे,चेन्नैः11.25-3.15 बजे,कोलकाताः12.07-3.29 बजे,पटनाः12.05-3.25 बजे तकअगरतलाः12.06-3.32 बजेहैदराबादः1129-3.15बजे,विशाखापत्तनमः 1144-3.22 बजेभोपालः11.41-3.14 बजे,भुवनेश्वरः 11.57-3.26 बजे,कानपुरः 11.55-3.18 बजेपुणेः11.18-3.06 बजे


 कई महीनों की मेहनत के बाद हम भी एक पहेली जीत आये हैं. नहीं तो वहां बड़े बड़े खिलाडी हैं. हमें कौन जितने देता  है? लेकिन उसके यहाँ देर है अंधेर नहीं है. हमारा भी नंबर आ ही गया. तनि आप भी शुभकामना टिपिया दीजिए.फ़र्रुखाबादी विजेता ( 172) : श्री ललित शर्मा नमस्कार बहनों और भाईयो. रामप्यारी पहेली कमेटी की तरफ़ से मैं समीरलाल "समीर" यानि कि "उडनतश्तरी" फ़र्रुखाबादी सवाल का जवाब देने के लिये आचार्यश्री यानि कि हीरामन "अंकशाश्त्री" जी को निमंत्रित करता हूं कि वो आये और रिजल्ट बतायें.प्यारे साथियों, 
 चलते-चलते

कार्टून :- रहिमन पानी राखिये..



आज  चर्चा बहुत विलम्ब से हुयी. क्योंकि सरकारी अंतर्जाल में उलझ गए थे. थोडा थोडा सुलझा कर काम चलाये हैं. जैसे तैसे यहाँ तक  पहुच गए, देते हैं अब चर्चा को विराम, सभी भाई-बहनों को ललित शर्मा का राम-राम.





22 comments:

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

मेहनत भरी सुन्दर चर्चा, ललित जी !

ताऊ रामपुरिया said...

अति सुंदर और रोचक रही चर्चा. बहुत शुभकामनाएं.

रामराम.

Khushdeep Sehgal said...

ललित भाई,

मैं कौन सा गीत सुनाऊं,
जो आ जाऊं ललित चर्चा में...

जय हिंद...

Amrendra Nath Tripathi said...

जब खुद का जिक्र हो तब चिटठा चर्चा पर कुछ बोलना
कठिन हो जाता है ... लेकिन चर्चा मनभावन है , निस्संदेह ! आभार !!

Dr. Shreesh K. Pathak said...

बेहद ही उम्दा....मजा आ गया.. अमरेन्द्र जी तो गज़ब ढा रहे हैं...!

बेहद सुंदर चर्चा..वाकई...!

संगीता पुरी said...

आपके द्वारा की जानेवाली चर्चा बहुत अच्‍छी लग रही है!!

Anonymous said...

सुन्दर प्रयास

Unknown said...

परिश्रम के साथ की गई सुन्दर चर्चा!

डॉ. मनोज मिश्र said...

सुंदर चर्चा.

राज भाटिय़ा said...

बहुत सुंदर जी

दिनेशराय द्विवेदी said...

अच्छी चर्चा! आप ने देर से की हमने देर से टिप्पणी की।

rashmi ravija said...

अच्छी चर्चा रही...कुछ अच्छे लिंक्स मिले...शुक्रिया

Himanshu Pandey said...

बेहतरीन चर्चा । आभार ।

Arvind Mishra said...

दबा कर चर्चा की है बा भाई !

Unknown said...

bahut badhiya charchaa ........
waah waah

badhaai !

रावेंद्रकुमार रवि said...

चर्चा तो चर्चा है, देर से हो, चाहे जल्दी,
पर इत्मीनान से होनी चाहिए!

--
ओंठों पर मधु-मुस्कान खिलाती, कोहरे में भोर हुई!
नए वर्ष की नई सुबह में, महके हृदय तुम्हारा!
संयुक्ताक्षर "श्रृ" सही है या "शृ", मिलत, खिलत, लजियात ... ... .
संपादक : सरस पायस

Anonymous said...

प्रस्तुतीकरण में उत्तरोत्तर प्रगति दिख रही
बढ़िया

बी एस पाबला

बवाल said...

चर्चा हिन्दी चिट्ठों की ?
तो हमने क्या उर्दू में चिट्ठा लिखा था जो यहाँ नहीं पाया जाता। हा हा।

Anil Pusadkar said...

मैं भी खुशदीप के साथ हूं।

Gyan Darpan said...

बहुत ही मेहनत की गयी शानदार चर्चा

Murari Pareek said...

बहुत जानदार और शानदार चर्चा!!

Dinesh Dadhichi said...

Rochak hai charcha
Muft hai bilkul,
Koi nahin kharcha !

पसंद आया ? तो दबाईये ना !

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