आज की चर्चा की शुरुआत दिगम्बर नासवा जी के पोस्ट से बरसों बीते मेरी देहरी से सब काग गये.
आग लगी तो शहर के सारे चूहे भाग गए
सोने वाले सोए रहे घर वाले जाग गए
कच्ची पगडंडी से जब जब डिस्को गाँव चले
गीतों की मस्ती सावन के झूले फाग गये.
दिगम्बर जी की ये रचना बहूत दिनों के इंतज़ार के बाद पब्लिश हुई है . लेकिन काम की रचना .
अपने आशीष जी जानकारी दे रहे है ब्लॉग पर नए चैरिटी के बारे में
ब्लॉग पर यह कैसी चैरिटी??
मिलने की खुशी न बिछड़ने का गम,
बबली जी की रचना
न तन्हा न उदास है हम,
आज केरला से हमारे साथ है चन्दन कुमार झा और बता रहे है त्यौहार ओणम के बारेमें . आज की पोस्ट उनकी दूसरी कड़ी है इस त्यौहार के बारे में आप यहाँ से जाकर उनकी ये पोस्ट पढ़सकते है .
अपने मुरारी पारीक जी कुछ दिन पहले ब्लॉग बुखार से पिदिईत होकर घर चले गए थे लेकिन वापस हुए है झगड़े लफड़े के साथ !!! :)
देशनामा पर कुलदीप सहगल जी है और बता रहे है कुछ ब्लागिंग के सार्थक प्रयोग के बारे में. आपके अनुसार -
ब्लॉग का इस्तेमाल फोरम की तरह भी किया जाना चाहिए...बीबीसी की तरह ऐसे
मुद्दों पर सार्थक बहस होनी चाहिए जो हमारे समाज को उद्वेलित करे रखते
हैं...ऐसा ही एक मुद्दा मैं रखता हूं...घरों में बुज़ुर्गों की
उपेक्षा...बीबीसी की सलमा जैदी जी ने ताजा ब्लॉग में दिल्ली जैसे महानगरों
में अकेले रहने वाले बुज़ुर्गों की हत्याओं की बढ़ती घटनाओं पर चिंता जताई
है...
तोड़ डालता है पत्ते
बच्चा घिसटता जाता है
उखाड़ फेंकता है
छोटा सा पौधा
डा. शास्त्री जी अपने कुछ संस्मरण बाट रहे है आपके साथ कि किस तरह मनुष्य अंत समय में
4 comments:
शुक्रिया पंकज जी ........... आज हो हमारा भी ज़िक्र आ गया आपकी चिट्ठा चर्चा में ........... शुक्रिया .......
पूरी चर्चा लाजवाब है .......
धन्यवाद पंकज जी.....सुन्दर चर्चा है. आभार.
वाह जी वाह, आपकी चिट्ठा चर्चा का अंदाज निराला है.. हैपी ब्लॉगिंग
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