जाने कितनो दिनों के बाद, गली में आज चाँद निकला !!
नमस्कार आप सभी को जो यहाँ तक आये है . ऊपर की लाइने भी आप सभी के लिए है . धन्यवाद आप सभी को मुझे सराहने के लिए !
शुरुआत समीर जी के लेख से !
पीढ़ी दर पीढ़ी का सिलसिला
बदला बहुत जमाना बेटा
घर की लाज बचाना बेटा.
नर नारी सब एक बराबर
बीबी लड़की लाना बेटा.
होटल मंहगे बहुत हुए हैं
खाना घर पर खाना बेटा.
मरने के हौसले भी मेरे यार कम हुए है - अदा
क्यूँ अश्क बहते-बहते यूँ आज थम गए हैं
इतने ग़म मिले कि, हम ग़म में रम गए हैं
तुम बोल दो हमें वो जो बोलना तुम्हें है
फूलों से मार डालो हम पत्थर से जम गए हैं
रंगीनियाँ लिए हैं ग़मगीन कितने चेहरे
अफ़सोस के रंगों में वो सारे रंग गए हैं
एक दिन यूं ही ख्याल आया,अलग तरिके से देखूं ये संसार,
क्या सबकी सोच एक जैसी है?
क्या सबके लिये खास होता है,
उनका पहला प्यार?
बहुत समय पहले की बात है जब देवताओ ने सोचा की एक प्रेम कथा बनाई जाए ; उन्होंने तुम्हे बनाया , उन्होंने मुझे बनाया , और एक जन्म बनाया ;
धान के देश में " है जी.के अवधिया जी और बता रहे है पैसे कमाने का तरीका गूगल से !
शनी देव तो खुद कष्ट में है दूसरो को क्या .....
धान के देश में " है जी.के अवधिया जी और बता रहे है पैसे कमाने का तरीका गूगल से !
शनी देव तो खुद कष्ट में है दूसरो को क्या .....
सुख-चैन, यश-कीर्ति, मान-मर्यादा सारी गई,धरा पर जब-जब इंसान की मति मारी गई !
भोग-विलासिता में चूर मत भूल, अरे नादान,
मरणोपरांत मान्धाता की लंगोट भी उतारी गई !!
अध्यापिका - रामप्यारी ! तुम्हारा सारा होमवर्क गलत है
आखिर इसका क्या कारण है?? आलोक जी
रामप्यारी - जी, कारण तो ताऊ ही बता सकते है
अगर आप कॊ अपने बेटे के लिये अच्छी बहू चाहिये तो... पहले अपनी बेटी मै
अच्छे संस्कार डाले, जो बाते आप को आने वाली बहू मे चाहिये वो सब खुबिया
आप पहले अपनी बेटी मै डाले.... फ़िर देखे केसे नही मिलती आप को अच्छी
बहुत..... काश इस बात को सब समझ सके तो फ़िर भारत मै अच्छी बहू मिलना
मुश्किल नही, पहल आप करे...आप के पीछे सब आयेगे
आज के परिचयनामा मे हम आपको मिलवाते हैं श्री विवेक रस्तोगी से. जिनके ब्लाग कल्पतरु से तो आप भलीभांति वाकिफ़ ही हैं जहां आजकल कालीदास और मेघदूतम की सुंदर चर्चा चल रही है. तो आईये विवेक रस्तोगी साहब. आपका ताऊ स्टूडियो में स्वागत है.
मानवीय संबंधों का आदर करो,
परिवार के प्रति कर्तव्यों का पालन करो,
कोई ख्वाब,मन को छू रहा हैऔर कोई आंखों से छलक रहा है।
कोई सोना चाहता है जिंदगी भर
और कोई सदियों से जग रहा है।
अलग है सबकी अपनी कहानी
मैंने देखा नहीं है उसकोमगर हवाओं में महसूस किया है !
है ख़्वाबों में तस्वीर उसकी
मैंने तस्वीरों में महसूस किया है !
वो मेरे अहसाह ,मेरी बातों में है
"बारिश बरसे"
टप, टप, टप, टप, टपप, टपप,
बारिश बरसे टप, टप, टप,
गरजे बदरा घनन, घनन,
बिजली चमके शनन, शनन ।
देख के बारिश की बौछार,
झूमें पौधे बारम्बार,
सूखे से छुटकारा मिला है,
नदियाँ भी मारें फुँकार
आज सच्चा शरणम पर हिमांशु भाई
8 comments:
सुन्दर चर्चा। पेश करने का अन्दाज रोचक!
पंकज भाई, आज चर्चा की फॉर्मेटिंग अच्छी है - जम रही है । बहुत कुछ व्यवस्थित भी है । कुछ खूबसूरत कविताओं और गजलों का यहाँ लिंक सजा कर विनियोग चर्चा को बेहतर बना रहा है । जारी रहिये । क़ायनात जुड़ेगी आपकी चर्चा से ।
वाह मिश्राजी, आप ने तो बहुत ही विस्तार दिया चर्चा को. चित्रों का संयोजन भी बडा सुंदर लगा, आप अकेले इतनी लंबी चर्चा कर लेते हैं यह बहुत बडी बात है, मेरी एक नेक राय है कुछ और लोगों को जोडिये इसमें. और ज्यादा से ज्यादा चिठ्ठों को शामिल किजिये. बहुत शुभ कामनाएं.
रामराम.
एक और सशक्त चर्चा.. प्रयास जारी रहे.. हैपी ब्लॉगिंग
सफ्ल प्रयास बहुत बहुत बधाई
AAPKI CHARCHA VISTAAR SE HOTI HAI ..... PATA CHAL JAATA HAI BLOG MEIN KYA LIKHA HOGA ... SUNDAR CHARCHA.............
aapki gali mein chaand nikla hai aur sitaaron se ham bhi chamak rahe hain ..
bahut badhiya hai ji..
सशक्त चर्चा...
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