चर्चा करने से पहले एक जरूरी बात !
अगर आप किसी सायबर कैफे में मेल वगैरह चेक करने जाए तो यह सुनिश्चित कर ले कि आप जगह छोडने अपने मेल खाते से बाहर हुए है.
सब लोग खाश कर मै यह सोचता हूँ कि अगर मेरे पोस्ट की संख्या तीन अंक में पहुच जाए तो मै वह पोस्ट किसी को समर्पित करूगा . और आज वह शुभ घणी मेरे साथ तो अभी नहीं पर निर्मला कपिला जी के साथ आये है आज उन्होंने अपनी १५०वी पोस्ट पब्लिश की है .
बधाई आपको !!!
आज ये मेरी 150 वीं पोस्ट जो मेरे श्रद्धेय दुरूदेव श्री प्राण शर्मा जी को समर्पित है.
मेरा ये गीत मेरे गुरूदेव श्रद्धेय प्राण शर्मा जी को समर्पित है। गुरू जी
ने लिखने के लिये तो गज़लें दी थी मगर मुझ अल्पग्य ने गीत रच दियेौर गुरू
जी ने इन्हें संवार कर और मेरी गलतियाँ निकाल कर इन्हें भी सुन्दर बना
दिया । उनमे से ये पहला गीत अपके सामने प्रस्तुत करने का आदेश दिया।
डा. शास्त्री जी को भी ब्लॉगर समुदाय से मिला प्यार बहूत कुछ लिखने पर मजबूर कर दिया , आप ने लिखा है कि -
करीब सात माह पहले जब मैं ब्लॉगिग की दुनिया में आया था तो सोचता था कि
कैसे इस महासागर में अपने पैर जमा सकूँगा। लेकिन ब्लॉग-जगत इतना सहृदय है
कि इस दुनिया की पुण्यशीलात्माओं ने सदैव मेरा उत्साहवर्धन किया।
चित्र परिचय - शास्त्री जी के ब्लागिंग क्लास के मेंबर
तकनीक
अपने पोस्ट में Read More का बिकल्प जोडीये , आशीष जी से जुड़कर
भाई अपनी अक्षयांशी सिंह ज से " जहाज कहना सीख गयी है
झीनी-झीनी बारीश - मीत
वो हर सुबह आते जाते लोगो को बारिश के लिए दुआ करते देख और सुन रहा था... हर तरफ लगभग एक ही जुमला सुनने को मिलता...हे भगवान तू कितना निर्दयी है?? क्या इस साल गर्मी से ही मार देगा..
प्यार की गर्मी - भाई मुझे पता नहीं चला कैसी होती है :)
ये बात नीर जी बता दे रहे है
रात सिकुडी है
साँसे ठहरी सी हैं
कोहरा घनेरा
सुन्न जिस्म है मेरा।
जनभाषा के हायपर लिंक
ऐसे ही एक दिन अरविन्दजी अपने ब्लाग के बारे में कह रहे थे- क्वचिदन्य्तोअपि
बोलने में नहीं गूगल ट्रांस्लितेरेशन पर भी कठिन ही है मगर मुझे इस बात का
गर्व रहेगा अगर कम से कम इस क्लिष्ट शब्द समास को लोगों को रटा सका
कुलवंत हैपी जीपिछले दिनों बीबीसी में छापी एक रिपोर्ट के मुताबिक हर तीसरी किशोरी सैक्स
की डिमांड पूरी न करने के कारण अपने पुरुष मित्र के गुस्से का शिकार होती
है। बहुत सी लड़कियां तो झूठा मूठा प्यार करने वाले फरेबियों के चक्कर में
आकर कुमारित्व खो लेती हैं। मैगन फॉक्स जैसी बोल इसलिए देती है कि क्योंकि
उनको इससे पब्लिसिटी मिलती है, जबकि आम महिलाओं को इसका खुलासा करने के
बाद केवल बदनामी, तिरस्कार ही मिलेगा
सबब थी जीने का जो भी
हर उस ख्वाहिश ने दम तो
खामोशी इस कदर छाई
की सब ख्वाबों ने घर छोड़ा ।
ज़रा सोचिये....! एक बार अपनी जिंदगी पर नज़र डालिये...! आपकी जिंदगी में
भी कोई ना कोई तो ऐसा होगा ही ना जो हर मंदिर में जा कर आपके लिये
प्रार्थना करता होगा कंचन सिंह
कीर्तिश कुमार
याद है वो पढने जाने के लिए सुबह उठ जाना ,
ये तो होता था एक बहाना
क्योकि
यही था अपना एक ठिकाना ,
छप्पन -चौकड़ खेल दिन बिताते थे .
चाचा की चाय पीते
लाख बुलाया,कितनी आवाज़े दी
पर माना नही
छत से उतर कर जीने पे बैठ गया आखिरकार------ नादान
ये प्रीत की है मेहँदी फिर हाथ में लगा लें
रूठे हुवे हैं सजना चल प्यार से मना लें दिगंबर नासवा जी !
इस दर्द से सिसकती खामोश ज़िंदगी को
लम्हा जो छू के आया आ जिंदगी बना लें
जो अपनी जोरू का हुक्म न मानेगा वह अदूलहुक्मी का मुजरिम करार दिया जायेगा । हिमांशु भाई का ब्लॉग
भला सा इक वक्त संग तेरे गुज़ारा
इन बातों से दिल बहला कर चले
ऐसे थे वैसे थे जैसे भी थे 'अदा'
मानोगे हम दुनिया हिला कर चले
6 comments:
Nice reading.
कंचन जी और अदा जी की रचना के लिये आभार । चर्चा का कलेवर बेहतर हो रहा है । धन्यवाद ।
वाह दिन पर दिन निखार आता जा रहा है चर्चा में. बहुत शुभकामनाएं.
रामराम.
आपकी ये चिठा चर्चा ना पढती तो अनर्थ हो जाता नास्वा जी और कंचन जी की अतनी सुन्दर पोस्ट तो पढने से रह गयी थी बहुत बहुत धन्यवाद ।
एक और सुंदर चर्चा.. हैपी ब्लॉगिंग
आह्ह्ह्ह ..
बहुते बढ़िया रहा भाई चर्चा ..दिन दूना रात चौगुना आप की चर्चा में निखार, चमकार, धार, सब जोरदार आते जा रहा है ..
क्या बात है ..
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