रमजान के इस पाक महीने में अल्लाह आपको सेहत शोहरत के बरक्कत दे यही कामना है .
चलते है अपने चर्चा की तरफ पूरे जोशो खरोश के साथ .
आइये सबसे पहले सुनते है आकाशवाणी लखनऊ की भेट मीनू खरे के साथ !!!
गीत सुनने के लिए यहाँ क्लिक करे निवेदन है.
अब दूसरी तरफ गार्गी गुप्ता है लोरी के साथ !
सो जा ......सो जा ......हो सो जा
राजदुलारे .......सो जा .....हो सो जा .......
तेरी चंदा जैसी माता
तेरे पिता है विधाता
और तू है सब की आँखों का तारा
सो जा ......सो जा ......हो सो जा
राजदुलारे .......सो जा .....हो सो जा .......
ऐसी मौत को आप क्या कहेगे कि मौत भी उसकी मौत पर रोये
महफूज साहब कुछ बेवफा कमबख्त की बात कर रहे है आप पढ़ लो जी हम काहे लिखे यहाँ ?
सावधान रहेगे संगीता जी धन्यवाद बताने के लिए , आप भी पढिये और जानिए
सोचता हूँ, आज अगर रामधारी की माई फाईव स्टार होटल में इस्तेमाल होने वाले
इन टॉयलेट पेपर्स को देखती तो जरूर अपने बेटे को इंटेलेक्चुअल, गुणी और
हाई क्लास का मानती औऱ कहती – मेरा बेटा फाईव स्टार वाले बडे बडे लोगों की
तरह रहता है………. है कोई मेरे बेटे के बराबरी का पूरे गाँव में :) सतीश पंचम जी ,
जिस प्रेम में प्रतिदान न हो
फिर उसे अवदान क्यों हो ?
जब हो कोई पाषाण निष्ठुर
भावना का दान क्यों हो ?
प्यार में यार कितना प्यारा लगता है इसके ऊपर बहूत खूब लिखा जा चुका है और दिन प्रतिदिन लिखाभी जा रहा है आज लिखे है सुधीर जी ने .जिनके लिए बदनाम हुए, वो किस्से हमारे आम करे जाते हैं
कोई तो सिखाओ यारों उन्हें सलीका इश्क के इज़हार का ।
रकीबों के इस शहर में सबकी हैं हर किसी से अदावत
कौन सुनेगा 'दास्ताँ' तेरा ये किस्सा पुराना प्यार का ।
तकनीक आशीष भाई के ब्लॉग पर ~~~~
क्या आपको रोमन लिपि में लिखी ऐसी मेल मिलती हैं, जो हिन्दी भाषा में होने
के बावजूद बेगानी लगती है। मुझे भी मिलती हैं और मैं उन्हें रोमन में
पढ़ने की बजाय देवनागरी में बदलकर पढ़ना पसंद करता हूं\
बच्चो का मनोविज्ञान समझना कोई आसान बात नहीं
है | उनका स्वभाव .उनकी
रुचियाँ और उनके शौक यदि हर माता पिता समझ ले तो बच्चों के दिल तक आसानी
से पहुंचा जा सकता है | बहुत सी ऐसी बातें होती है जिनको समझने के लिए कई
तरकीब ,कई तरह के मनोविज्ञानिक तरीके हैं जिस से बच्चो को समझ कर उनके
स्वभाव को समझा जा सकता है | एक मनोवेज्ञानिक ने इसी आधार पर बच्चे के
व्यक्तितव को समझने के लिए उनके लिखने के ढंग ,पेंसिल के दबाब और वह रंग
करते हुए किस किस रंग का अधिक इस्तेमाल करते हैं ..के आधार पर विस्तार
पूर्वक लिखा है ...माता पिता के लिए इस को जानना रुचिकर होगा ...
दुनिया की सबसे दुखी औरत होती हैं
पर कमज़ोर नहीं होती
वह जोरो से रेडियो चलातेपड़ोसी से लेकर
लापरवाह डॉक्टर तक
सबसे लड़ सकती हैं
उसे जरा सा भी शक हो जाये
मैली चादर ओढ़ के कैसे द्वार तुम्हारे आऊँ
हे पावन परमेश्वर मेरे मन ही मन शरमाऊँ
तुमने मुझको जग में भेजा निर्मल देके काया
आकर के संसार मैं मैंने इसको दाग लगाया
जनम जनम की मैली चादर कैसे दाग छुडाऊँ
मेरे कैलेंडर की
चिड़िया का
एक पंख
रोजाना टूट जाता है
और मैं
उसे सहेज कर
डायरी में छुपा लेता हूँ
सदियों से मैं तो यूँ ही चलती रही हूँ
चलते-चलते मैं कभी थकती नही हूँ
बहना ही मेरा जीवन चलना ही नियति है
बंजारन की बेटी हूँ मैं तो ये चली
9 comments:
चिट्ठा चर्चा ईस्टमैन कलर में!
रंग-बिरंगे चिट्ठों की बेहतर चर्चा । प्रविष्टियों की झलक देखना सुखकर है । आभार ।
अच्छे पोस्टों का संकलन किया है !!
ये बढ़िया रही चर्चा एक अलग अंदाज में.
बिल्कुल अभिनव चर्चा.
रामराम.
AAPKI AAJ KI CHARCHA BHI LAJAWAAB HAI ... ACHHA SANKLAN HAI CHITTHON KA .......
Thank you pankaj......... gud collections.......
are janab kya charcha karte hain aap !!
bahut badhiya...
धन्यवाद पंकज जी . एकाएक यहाँ आना बहुत सुखकर लगा.
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