लेकिन मैं पत्नीव्रत पति के रूप में प्रसिद्ध हूँ,
घर, कपड़े की सफाई से लेकर,
चूल्हा-चौका के कार्यों में सिद्ध हूँ।
मेरे मित्र और परिचित अक्सर मेरा मजाक उड़ाते हैं,
समय, बेसमय तरह तरह के उपनाम से मुझे चिढ़ाते हैं,
मैं बिना प्रतिवाद के सब सुन लेता हूँ,
बदले में उन नासमझों को एक फीकी मुस्कान भर देता हूँ।
अब मिल के भी कहाँ हमें वो मिलते हैं
इक चेहरे के पशेमाँ कई लोग मिलते हैं
महफ़िल में रौनक हैं उनके ही दम से
खुश हैं लोग सभी और हम जलते हैं
रात भर का है मेहमाँ ये चाँद भी सुनो
अब घर से हम बहुत कम निकलते हैं
वो मर गया 'अदा' और दफन हो गया
अब किससे ये कहें के रोज़ हम मरते हैं
जीवन !
दो रूप
कभी छाँव
कभी धूप
आजकल आपसे ज़्यादा मुलाकात नही हो पा रही है. रमजान चल रहे
है और अगले हफ्ते ईद भी है. तो उसी की तैयारियाँ चल रही है. जैसे शॉपिंग
वग़ैरह...
….और अब अगले कुछ रोज़
शायद आपसे मुलाकात ना हो पाये क्योंकि ईद पर हम सब दादा दादी के पास जा
रहे हैं. आप सब मुझे इतने दिन मिस तो करेंगे ही.... करेंगें ना ?? लवी
अब हम तो शक्ति कपूर की तरह फ़ंस गये स्ट्रींग आपरेशन के फ़ेर में.. घर मे ताई का अलग डर कि उनको मालूम पड जाये कि ऐसे वैसे चोरी के ब्लाग पर टिपणियां करते हुये ताऊ पकडाया है तो उनके लठ्ठ खावो...और मुझे लगता है कि ये होकर ही रहेगा क्योंकि ये ३६ वां साल चल रहा है. अभी बहुत समय बाकी पडा है इस साल को खत्म होने में. अत: सेफ़्टी मेजर्स के नाते मेरे मन मे कुछ बात उठी है जिन पर विचार किया जाना जरूरी है.
पहरे दारो आँखें खोलो
मत इतबार करो दुश्मन का
लोग सभी घायल दिखते हैं
शोर सुने कोई क्रंदन का
जादूगर बना आसान है
सबसे आसान जादू को दिखाने से पहले तैयारी के लिए आपको अपने रूमाल के
किनारे मोडे गए हिस्से में सावधानीपूर्वक एक माचिस की तिली डालकर छोड
देनी है। जहां दो चार दोस्त जमा हों , वहां आप जादू दिखाने के लिए अपने
उसी रूमाल को बिछा दें। अपने किसी दोस्त को उस स्माल में एक माचिस की
तिली रखने को कहें। अब माचिस को कई तह मोडते वक्त आप ध्यान देते हुए उस
तिली को छुपाकर और अपनी रूमाल के किनारे छिपायी तिली को सामने रखें
चीड़ वन के आहत मौन को समर्पित, प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ.नीरजा माधव का
उपन्यास "तेभ्य:स्वधा" कश्मीर की राजौरी घाटी के शरणार्थी शिविरों में बसे
उन हज़ारों अनाम हिन्दुओं को श्रद्धांजलि है जो भारत-विभाजन के समय
पाकिस्तान से विस्थापित हुए और बर्बरतापूर्वक मारे गए.
दया सचमुच जागी
मालकिन आई भागी-भागी
कहती है "क्या करते हो भईया?"
भिखारी बोला , भूख लगी है
अपने आपको मरने से बचा रहा हूँ .....
दिल इबादत ढूंढता है
अपनी चाहत ढूंढता है
जिंदगी की कशमकश में
बूँद बूँद राहत ढूंढता है ।
आसूँओं के जलजलों में
यादों के उन काफिलों में
होता है जब बेपरवाह सा
तो जीने की आदत ढूंढता है
गूंगी थी दोनों तरफ मोहब्बत फल न सकी।
मैं उसके और वो मेरे सांचों में ढल न सकी॥
पाक थे रिश्ते अफवाह बन हवा में न फैला करते थे।
हम ही नहीं जनाब, मन तो वो भी मैला करते थे॥
ये दुनिया सात दिनों का मेला
आठवां दिन न आया कभी
ख्वाब बरसों के बुनता रहा
पल भी चैन न पाया कभी
क्षण क्षण जीता मरता रहा
पर ख़ुद को न जान पाया कभी
कोई बतलाये हम क्या करें।
उन्हें तारीफ अच्छी न लगे
मालूम नहीं क्यों सजा करें।
सिर्फ़ मेरे ही हो कर रहें वो
आप सब मिलके दुआ करें।
आपको बतायें कि आप कैसे अपनी सामग्री को चुराने के बदले इस साइट की शिकायत गूगल से कर सकते हैं।
इस साइट के किसी भी विज्ञापन पर Ads by Google पर क्लिक करें।
हुआ नपुंसक राजनय नेता बने सियार
कानन रोदन ही उन्हें मित्रो लगे पियार
मित्रो लगे पियार जंगजू जब भी आएं
अकर्मण्य सारे चूहे बिल में घुस जाएं
दिव्यदृष्टि बे-चारे शासक सोहें दिल
इसीलिए है बेलगाम अतिवादी बिल्ली
झूठ की मुस्कान होठों पर सज़ा लें
सच के आँसू आँख में अपनी दबा लें
चाहते हैं पूजना जो देवता को
जो गये हैं रूठ वो बच्चे मना लें
ख़बर के मुताबिक,धर्म परिवर्तित लोगों के साथ जबरिया कर के
उन्हें वापस हिंदू धर्म में आने को कहा गया और एसा ना करने पर मार डालने
की धमकी भी। कंधमाल में घटित इस घटना पर नजर डालें तो आतंकी हिन्दुओं का
समूह नौगाम नमक गाव में आ कर लोगों को जबरिया ईसाई से हिंदू धर्म परिवर्तन
के लिए धमकाते हैं और एसा ना करने पर जान से मारने की धमकी, गरचे बहुत से
लोग यहाँ से विस्थापित हो चुके हैं ।
हम बड़े भक्त हैं,
रहते सदा संत हैं,
पर जब कोई मछली आये,
मन को भाये,
तोड़ देते अपना व्रत हैं।
हम बड़े भक्त हैं,
बात के बड़े सख्त हैं,
13 comments:
बड़ी विस्तृत चर्चा की है भई. बहुत अच्छा लगा पढ़कर. बधाई. जारी रहिये.
बहुत खूब । आभार ।
नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं ।
चर्चा पसन्द आयी पंकज जी। कई चिट्ठों को एक साथ पढ़ने का आपने अवसर दिया। आभार।
दिल इबादत ढूढ़ता है... यह प्रविष्टि तो छूट ही गयी थी पढ़ने से । इतनी सुन्दर प्रविष्टि रह जाती यदि आपकी चर्चा न होती । आभार ।
सुन्दर संकलन है।
बहुत उम्दा और व्यवस्थित चर्चा, बहुत धन्यवाद.
रामराम.
गज़ब....शब्दों का ये प्यारा और दिल की गहराइयों में उतर जाने वाला इस्तेमाल काबिले दाद है... बहुत बहुत बधाई ... अच्छा तो है ही , कुछ नया बताता - सिखाता भी है। सुभाष गुप्ता, देहरादून
रंग ला रही है अब अंदाजे बयाँ !
धन्यवाद हमारी पोस्ट की चर्चा करने के लिए।
बढ़िया चर्चा रही ।
अच्छी चर्चा चल रही है आपकी .. मेरे चिट्ठे को शामिल करने के लिए धन्यवाद !!
दुख आपको इन्सान बनाए रखता है, असफ़लता आपको विनम्र बनाए रखती है......... ekdum sahi kaha bhai........
main tumhara aabhaari hoon....... bahut bahut........
mera aaj ka blog zaroor dekhna........ (Must..................... seeeeeeeee......)
पंकज जी,
सर्वप्रथम देर से आने के लिए ह्रदय से क्षमाप्रार्थी हूँ. और चिटठा-चर्चा में मुझे शामिल के लिए ह्रदय से आभारी..
पंकज जी चिटठा चर्चा सुनावा
पढ़ी-पढ़ी सबका मन हरसावा
चिटठा चर्चा भई बहुत भारी
छोटे-बड़े ब्लाग्गर भये सुखारी..
बहुत बढ़िया रही चर्चा....
Post a Comment