ज़रा पूछ तो हाल
शाख पर लटके
उस सूखे हुए पत्ते का
ज़रा देख तो उस ओर
ज़िन्दगी के बसंत तो
उसने भी देखे थे
हिमांशु भाई
अहं रहित मह मह महकेंगे तेरे प्राण सुमन मधुकर
स्निग्ध चाँदनी नहला देगी चूमेगा मारुत निर्झर
तुम्हें अंक में ले हृदयेश्वर हलरायेगा मधुर मधुर
टेर रहा है मूलाधारा मुरली तेरा मुरलीधर
ब्रेकिंग न्यूज,
ताऊ के शोले की शूटिंग रुकी !!!
सांभा ने भी पुलिस की मार से बचने के लिए जंगल में सेफ पहुँचने तक अपना नाम बदल कर सांभा 'सज्जन' रख लिया और गब्बर ने अपना ब्लॉग पासवर्ड से प्रोटेक्ट कर लिया. नाम बदलने के बाद भी सांभा की लड़कपने की आदत तो थी ही तो सांभा लड़कपना करते करते जंगल की तरफ चले जा रहे थे. गब्बर उसके लड़कपने पर उसे समझाने की बजाये कभी उसे और लड़कपना करने के लिए उकसाता तो कभी ताली बजा कर हौसला अफजाई करता तो कभी सिर्फ मुस्करा देता लेकिन रोकता कभी नहीं.
मैं वक्त की चोट खाया मुसाफिर बन चुका हूं। नाव मझधार में है, किनारा ढूंढ
रहा हूं। किसी का कंधा नहीं जो उसपर सिर रख रो सकूं। हृदय की वेदना को
बयान करने में शब्दों का अभाव है। मैं डूब भी तो नहीं सकता। ऐसे हालात हैं
कि जीना पूरा नहीं और मरना अधूरा है।
मैं प्रण लेता हूँ कि पशु-पक्षियों को अहित पहुँचाने वाले कार्यों से
दूर रहूँगा। हम मनुष्यों ने खेत-जंगल उजाड़कर कंक्रीट का जाल बिछाया है,
उसी का नतीजा है कि ये बेचारे पशु-पक्षी मनुष्यों के चबूतरों पर एक
सुरक्षित कोने की तलाश कर रहे हैँ, और वह भी इन्हें नसीब नहीं.....
अकेलापन..........
घंटों मुझसे बातें करता है
भावनाओं को तराशता है
जीने के लिए
मुठ्ठियों में
चंद शब्द थमा जाता है...........
चलो
इन जानी पहचानी
पगडंडियों को
छोड़ कर
बीहड़ में चलें,
और वहाँ पहुंच कर,
पीठ से पीठ
मिलाकर खड़े हो जाएं
निर्मल सूर्योदय को जिस दिन देखूं
पवन किरणों से लफ्ज बनाकर
प्रियतमा का चित्र बनता हूँ॥॥ गुरू देवो भव:
मैं तो बस कलम चलता हूँ
महात्मा गांधी ने विभाजन के पूर्व हिन्दुओं से अनुरोध किया था कि वे अपना घर बार छोड़ कर न कहीं न जाएँ क्योंकि देश का विभाजन नहीं होगा। भरी सभा में उनका कथन था - "यदि पाकिस्तान बनेगा तो मेरी लाश पर बनेगा"।
रंजना सिंह
महारानी की करुण अवस्था ने भाई बहन के ह्रदय को दग्ध कर दिया.. उन्होंने महारानी को पुत्रीवत स्नेह और आश्रय का आश्वासन दे आश्वस्त किया. परन्तु महारानी के आलौकिक सौन्दर्य ने उन्हें चिंतित और दुविधाग्रस्त भी कर दिया .एक तो महारानी की मानरक्षा के लिए इस तथ्य की गोपनीयता सर्वथा अनिवार्य थी और इसके लिए उन्हें महारानी के लिए गोपनीय वास की व्यवस्था करनी थी और दूसरे अपरिपक्व वयि शिष्यों को उनके परिपक्व होने तथा शिक्षण समाप्ति पर्यंत स्त्री संपर्क से पूर्णतः वंचित रखना था. जिस वयः संधि पर उनके शिष्यगन अवस्थित थे,उनमे विवेक उतना प्रखर न हुआ था कि वे अपना करनीय भली भांति स्थिर कर पाते.आचार्यवर अपने शिष्यों के शिक्षण समाप्ति से पूर्व किसी भी भांति तपश्चर्या में विघ्न उपस्थित होने देना नहीं चाहते थे.
रंज ओ गम अपने सारे भुला दो भाई
किसी से नफरत नही है बता दो भाई।
अपने वतन के वास्ते कितने वफादार हैं
राह में आए गद्दारों को यह दिखा दो भाई।
जब गूंजती हो शहनाई पड़ौसी के आँगन में
गीत तुम भी एक कोई गुनगुना दो भाई ।
हाईवे पर छः घण्टे के अन्दर
छः छः मौतों ने
हिला कर रख दिया
सड़क पर वही चल रहे होते हैं
जिनसे न जाने कितनों के
अरमान जुड़े होते हैं ।
बनने लगा था इन्सां,पर अब रहा नहीं
गर यूंही था मिटाना ,तो फिर बनाया क्यों था
पक्षी अपने लिये अलग-अलग तरह के कलात्मक घोंसले बनाते हैं। जैसे वीवर बर्ड बहुत ही सुन्दरता के साथ घास को बुन कर घोंसला बनाती है तो वॉटर रैड स्टार्ट काई और मॉस से कीप के आकार का घोंसला तैयार करती है। मैगपाई लकड़ी के टुकड़ों से अपना घोंसला पेड़ों के ऊपर बनाती है तो ग्रे हुडेड बुश वैब्लर घास को मोड़ कर बहुत ही आकर्षक घोंसला बनाती हैं और बार्न स्वैलो अपने बीट और गीली मिट्टी को मिला कर बहुत कलात्मक घोंसला तैयार करती है।
चलो
इन जानी पहचानी
पगडंडियों को
छोड़ कर
बीहड़ में चलें,
और वहाँ पहुंच कर,
पीठ से पीठ
मिलाकर खड़े हो जाएं
अशू वो तलाक के कागज़ ले कर चिल्ला रहा है कि अगर नहीं आयेगी तो ये तलाक के कागज़ साईन कर के भेज दे।* मैने आशू को बताया।*तलाक? कभी नहीं। मुझ से तलाक ले कर ये किसी और की ज़िन्दगी बर्बाद करेगा मैं ऐसा कभी नहीं होने दूँगी।*
निर्मल सूर्योदय को जिस दिन देखूं
पवन किरणों से लफ्ज बनाकर
प्रियतमा का चित्र बनता हूँ॥॥ गुरू देवो भव:
मैं तो बस कलम चलता हूँ
महात्मा गांधी ने विभाजन के पूर्व हिन्दुओं से अनुरोध किया था कि वे अपना घर बार छोड़ कर न कहीं न जाएँ क्योंकि देश का विभाजन नहीं होगा। भरी सभा में उनका कथन था - "यदि पाकिस्तान बनेगा तो मेरी लाश पर बनेगा"।
रंजना सिंह
महारानी की करुण अवस्था ने भाई बहन के ह्रदय को दग्ध कर दिया.. उन्होंने महारानी को पुत्रीवत स्नेह और आश्रय का आश्वासन दे आश्वस्त किया. परन्तु महारानी के आलौकिक सौन्दर्य ने उन्हें चिंतित और दुविधाग्रस्त भी कर दिया .एक तो महारानी की मानरक्षा के लिए इस तथ्य की गोपनीयता सर्वथा अनिवार्य थी और इसके लिए उन्हें महारानी के लिए गोपनीय वास की व्यवस्था करनी थी और दूसरे अपरिपक्व वयि शिष्यों को उनके परिपक्व होने तथा शिक्षण समाप्ति पर्यंत स्त्री संपर्क से पूर्णतः वंचित रखना था. जिस वयः संधि पर उनके शिष्यगन अवस्थित थे,उनमे विवेक उतना प्रखर न हुआ था कि वे अपना करनीय भली भांति स्थिर कर पाते.आचार्यवर अपने शिष्यों के शिक्षण समाप्ति से पूर्व किसी भी भांति तपश्चर्या में विघ्न उपस्थित होने देना नहीं चाहते थे.
रंज ओ गम अपने सारे भुला दो भाई
किसी से नफरत नही है बता दो भाई।
अपने वतन के वास्ते कितने वफादार हैं
राह में आए गद्दारों को यह दिखा दो भाई।
जब गूंजती हो शहनाई पड़ौसी के आँगन में
गीत तुम भी एक कोई गुनगुना दो भाई ।
हाईवे पर छः घण्टे के अन्दर
छः छः मौतों ने
हिला कर रख दिया
सड़क पर वही चल रहे होते हैं
जिनसे न जाने कितनों के
अरमान जुड़े होते हैं ।
बनने लगा था इन्सां,पर अब रहा नहीं
गर यूंही था मिटाना ,तो फिर बनाया क्यों था
पक्षी अपने लिये अलग-अलग तरह के कलात्मक घोंसले बनाते हैं। जैसे वीवर बर्ड बहुत ही सुन्दरता के साथ घास को बुन कर घोंसला बनाती है तो वॉटर रैड स्टार्ट काई और मॉस से कीप के आकार का घोंसला तैयार करती है। मैगपाई लकड़ी के टुकड़ों से अपना घोंसला पेड़ों के ऊपर बनाती है तो ग्रे हुडेड बुश वैब्लर घास को मोड़ कर बहुत ही आकर्षक घोंसला बनाती हैं और बार्न स्वैलो अपने बीट और गीली मिट्टी को मिला कर बहुत कलात्मक घोंसला तैयार करती है।
8 comments:
hamesha ki tarah ek aur sarthak charcha bahut bahut badhai..
आपकी पोस्ट की
प्रस्तुति बहुत बढ़िया है।
बधाई!
एक बेहतरीन चर्चा..सजाये रहो मंच..जगाये रहो मंच..... आगे बढ़ो...हम साथ हैं.
बहुत ही बेहतर निरीक्षण का तरीका है भाई !
कायल हो गया मैं
कुछ भी बेहतर अछूता नहीं रहता इस चर्चा में ।
आभार ।
वाह छाते जा रहे हो मिश्राजी आप तो. गजब की चर्चा है. आपकी मेहनत को प्रणाम है. शुभकामनाएं.
रामराम.
चिट्ठों की चिट्ठी यहाँ होती है ? बहुत बनियाँ !!
ek aur behatareen, vihangam aur vistrit charcha..
यह चर्चा भी अच्छी रही । आभार
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