अभिलाषा के आँचल में ,
भंडार तृप्ति का भर दो।
मन-मीन नीर क ताल में,
पंकिल न हो यह वर दो॥
राम भी हुए मेड इन चाइना के मुरीद
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से सटे गोंडा में रामलीला कमेटी चलाने वालेपंडित राम कुमार कहते हैं, 'इस बार रामलीला के पात्रों की पोशाक विदेशोंखासकर चीन से आयात की गई है।' पहले ये पोशाकें तमिलनाडु के मदुरै औरपश्चिम बंगाल के कोलकाता से मंगाई जाती थी। लेकिन अब सब कुछ बदलगया है। चीन से आयातित पोशाक व अन्य साजो-सामान न सिर्फदेखने में आकर्षक हैं, बल्कि सस्ते और टिकाऊ भी हैं।
रूप का साक्षात्कार क्यूँ नहीं तुमने किया ,
दर्द का इक अहसास क्यूँ नहीं तुमने किया ,
शम्मा की तरह जलती रहीं तुम रात भर ,
क्यूँ नहीं परवाने से प्यार है तुमने किया
क्या सोचकर टिप्पणी की थी ... सुरेश चिपलूनकर खुश होगा ... शबासी देगा ...
मेरे संवेदनहीन पिया
दर्द के अहसास से विहीन पिया
दर्द की हर हद से गुजर गया कोई
और तुम मुस्कुराकर निकल गए
कैसे घुट-घुटकर जीती हूँ मैं
ज़हर के घूँट पीती हूँ मैं
साथ होकर भी दूर हूँ मैं
ये कैसे बन गए ,जीवन पिया
नित पुष्प खिला कर,खुशियों के,मन बगियाँ महकाया तुमने,आँखों के आँसू लूट लिये,हँसना सिखलायातुमने,सुना,वीरान,अधूरा था,तुमसे मिलकर परिपूर्ण हुआ,दिल के आँगन मे तुम आई,जीवन मेरा संपूर्णहुआ, किस मन से तुझको विदा करूँ,तुम ही खुद मुझको बतलाओ,मैं कैसे कह दूं तुम जाओ.
पलको से टकरा-टकरा
आखिर लुढक ही गई
आंखों के अन्दर
और
रैटीना में फैल गई
अपने पूरे विस्तार के साथ
मेरी तस्वीर।
सुखद समाचार !!!!
मिली एक दिन एक बहिन जी
लगती थी उदास
मैं समझी शायद इंडिया से
आई है उसकी सास
मैंने पुछा क्यूँ आज off हुई हो
क्या दिन बीत रहे हैं कड़की में
कहने लगी ये होता तो अच्छा था
मुझे परेशान किया मेरी लड़की ने
date पर जाना चाहती थी
आप कुछ कर रहे हैं औऱ आपका कलेजा कांप रहा है। क्या है इसका मतलब? मतलब साफ है कि कुछ न कुछ गलत है, कहीं न कहीं कमजोरी है। आप बोल रहे हैं और आपकी जुबां लड़खड़ा रही है। मतलब, या तो बोलना नहीं आता या जो बोल रहे हैं उसकी आपने तैयारी नहीं की है। जिंदगी के मुकाम पर जब आपकी उम्र बढ़ती जाती है तो आप भविष्य के गर्भ में तो प्रवेश करते जाते हैं
इसकी पूजा करती रहूँ मै
भारत की ही बेटी हूँ मैं
क्या मंदिर और क्या गुरुदुआरा
सब का ही सन्मान करूँ मैं
इश्क मुहब्बत मुल्क है मेरा
इसको ही महबूब कहूँ मैं
कहीं भी
कोई जगह नही है जिसे दश्त कहा जा सके
और जहाँ
फिरा जा सके मारा-मारा
बेरोक- टोक समय के आखिरी सांस तक.
मैं ख्वाब देखती हूँ
और तुम्हे भी संग उनके जहान में ले जाती हूँ
जानती हूँ यह ख्वाब है
सिर्फ़ .....
चंद लम्हों के ... जो बालू की तरह हाथ से फिसल जायेंगे
पर जब यह बंद होते हैं
शर्मसारी में दिन सारा बीता,
लिखने-पढ़ने का मन ही नही है।
खूब हंगामा सा मच रहा है,
गीत रचने का मन ही नही है।
15 comments:
वाह,पंकज जी इतना बेहतरे प्रस्तुति चिट्ठा चर्चा की..
बहुत बढ़िया लगा..ब्लॉग के सभी सामग्री एक ही जगह पर..
बधाई..
गजब की उर्जा है आपमे. अकेले ही इतनी जानदार चर्चा करते हैं, बहुत शुभकामनाएं.
रामराम.
Sartakh charcha...
मनभावन प्रस्तुती। भइ वाह!!!
बढ़िया चर्चा शुक्रिया जी आपका
पोस्ट समेटन टनाटन
akele akele ye charcha sanwaari hain
Pankaj babu aap bahuton par bhaari hain
first class....jhakass..
अच्छा है। नियमित करते रहें!
बढ़िया चर्चा कर डाली आपने :)
बढ़िया चर्चा कर डाली आपने :)
बदिया चर्चा ताऊ जी वाली खबर नहीं पढी थी पत्रिका तो मेरे पास भी आती है देखती हूँ ताऊ जी को बधाई
बडिया चर्चा है ताऊ जी की शोले के बारे मे नहीं पढा था पत्रिका तो मेरे पास भी आती है। ताऊ जी को बधाई
सुन्दर चर्चा ।
अच्छी चर्चा है आज तो ........... सब एक से बढ़ कर एह चिट्ठे हैं .............
मेरे ब्लॉग को शामिल करने का बहुत बहुत धन्यवाद, पंकज जी |
सुन्दर चर्चा । नियमित करते रहें!
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