Thursday, January 07, 2010

ऐसा मजाक किसे भायेगा ,.कौन है जो गधा कहने पर भी मुस्कुरायेगा ? (चर्चा हिन्दी चिट्ठो की )

नमस्कार …मै पंकज मिश्रा आपके साथ…आपके चिट्ठो की चर्चा लेकर ..

आज आपको एक राज की  बात बताता हु ..आज तक और आगे भी इस मन्च पर आपके चिट्ठो की चर्चा एक गधे के द्वारा किया जा रहा है ऐसा मानना है हमारे ब्लाग-जगत के बडे बुजुर्गो मे से एक  श्री मान अनूप शुक्ल “फ़ुरसतिया” जी का उनके अनुसार ….एक गधा जब नेहरु से मिला (चर्चा हिन्दी चिट्ठो की ) करने लगा !

अब सुन लिजिये पूरी कहानी ..हुआ यु कि  मै एक पोस्ट लगाया था अपने ब्लाग पर एक गधा जब नेहरू से मिला. (चर्चा हिन्दी चिट्ठो की) और शुकुल जी ने कल अपनी चर्चा मे मुझसे अपनी बात कही कुछ इस तरह …एक गधा जब नेहरु से मिला (चर्चा हिन्दी चिट्ठो की ) करने लगा !….लिखकर

अब मै आप सब महानुभाव से पुछ रहा हु ..क्या अनूप शुकुल को ऐसी बातें शोभा देती है ..उन्को क्या अधिकार है किसी के लिये ऐसे भाषाई प्रयोग..

और भी वरिस्ठ लोग है वो सभी तो कभी भी कही भी किसी बच्चे बुढे जवान का दिल नही दुखाया है !

मुझे सरेआम गधा शब्द से नवाज दिया …क्यु अनूप शुकुल क्यु ? आप जानते ही क्या है हमारे बारे मे >?

और अगर मै गधा तो कई बार आपने भी इस गधे की चर्चा को सुन्दर चर्चा कह चुके हो…..

अगर आप का एक ळाइना सिर्फ़ मजाक होता है तो भी ऐसा मजाक किसे भायेगा ..कौन है जो गधा कहने पर भी मुस्कुरायेगा ?

image  आप धन्य हो ऐसे लोग दुनिया मे कम होते है जो इस तरह का व्यहार रखते हो …..आप ब्लागजगत मे बडे हो लेकिन शायद आपको हम जैसे बच्चो से प्यार ही नही है …..कभी अगर प्यार किये होते तो आज इतना कहने पर मुझे बुरा नही लगता …एक तो आपने इससे पहले मुझे कभी अपने मन्च पर सराहा नही और आज सीधे गधे बनाने पर उतर आये/….मै पुछता हु क्यु शुकुल जी क्यु? जवाब दिजिये!!

आज यह काला झण्डा अनूप शुकल के वीरोध मे है.

अब चलते है चर्चा की तरफ़ ..सबसे पहले ताऊ रामपुरिया जी की पोस्ट

"राज ब्लागर के पिछले जन्म के : “ताऊ ने रिकार्डींग से मना किया”

imageइतना सुन कर खुशदीपजी तो भडक गये..बोला – शेखावत जी ये तो खुले

आम डकैती है..सरे आम लूटपाट है..ये भले आदमियों का काम नही है. बहुत गलत बात है…मैं कोर्ट जाऊंगा..शेखावत जी  बोले – ठीक है…तो आप कोर्ट जावो..इधर ताऊजी ने मुझसे कह दिया है कि अगर रुपये नही मिले तो….  मैं थाने जाकर  आप लोगों की रिपोर्ट लिखवा दूं कि आप लोगों ने  ताऊ को दस दिन से नशा पानी करवा कर पटक रखा है पिछले जन्म की शुटिंग के  नाम पर…….फ़िर सलट लेंगे…और ताऊ को लेजाने को तैयार होगये.मामले की गंभीरता समझ कर खुशदीप जी ने अपने चैनल वालों से बात की. और आखिर यह मामला ५ लाख मे सैटल हुआ तब जाकर रिकार्डींग शुरु हो सकी.

अमीर धरती गरीब लोग पर है अनिल पुसादकर जी और बता रहे है एक वाकया मेरा काम मांगना है,जिसे देना है वो देता है,अब चाहे वो अल्लाह के नाम पर दे या बजरंगबली के नाम पर?

imageखैर जैसे ही मैं मंदिर पहुंचा तो मेरा ध्यान एक आवाज़ ने खींचा,बच्चा सालों से यंहा आता है कभी तो दान-पुण्य कर।मैनें देखा एक अच्छा खासा तगड़ा जवान फ़कीर मुझे देख रहा था।मैं सालों से उस मंदिर मे जा रहा हूं और साल मे एक नही कई कई बार जाता हूं।उस फ़कीर को देखकर मुझे आश्चर्य ज़रुर होता था और उससे बात  करने की इच्छा भी,मगर रायपुर लौटने की ज़ल्दी के कारण मैं हमेशा उसे टालता रहा।इस बार मैं अकेला था और वंहा से 450 किमी दूर सीधे रायपुर भी नही आना था।यानी मेरे पास काफ़ी समय था।मैने जेब मे से कुछ सिक्के निकाले

अब आगे है दो कविताये अदा जी और महफ़ूज जी के ब्लाग से

कारवाँ रास्तों के फिसलते रहे .....

वो अपनी नज़रें और तेवर बदलते रहे
हम कदम दर कदम यूँ ही चलते रहे
इश्क की मंजिलें हैं खड़ी सामने
कारवाँ रास्तों के फिसलते रहे
उनको खुद पर भरोसा दिला न सके
वो दूर जाते रहे हम हाथ मलते रहे


मैं झूठ नहीं बोलता: महफूज़

मैं झूठ नहीं बोलता,

साहित्य-कला से क्या लेना?

ढूंढ रहा खुद को मैं,

खोज रहा प्याज़,

छिलकों में.....

अब आगे है रतन सिंहः शेखावत जी और बता रहे है वेब होस्टिंग व्यवसाय कैसे शुरू करें ?

अपनी वेब साईट बनाते समय ही इसका सबसे महत्त्वपूर्ण भाग है आपकी वेब साईट का client area जहाँ आपके ग्राहकों के खातों का पूरा ब्यौरा रहेगा इसके लिए इन्टरनेट पर ढेरों सोफ्टवेयर उपलब्ध है जिन्हें खरीदकर या ओपन सोर्स के फ्री में मिलने वाले सोफ्टवेयर डाउनलोड कर अपनी वेब साईट पर इस्तेमाल किये जा सकते है | ये सोफ्टवेयर आपके ग्राहimage कों का पूरा ब्यौरा ऑनलाइन रखते है साथ ही बिल बनाना , बिल ई मेल से ग्राहकों को भेजना , भुगतान प्राप्त करना , भुगतान के लिए तकादा करना , ग्राहक को उसके डोमेन की मियाद ख़त्म होने से पहले सूचना भेजना आदि ढेरों कार्य स्वचालित तरीके से करते है | इनमे whmcs , phpcoin , accountleb plus , hosting tool आदि प्रमुख है जिनके बारे विस्तार से जानकारी अगले लेख में दी जाएगी |

आगे है दो ब्लाग एक साथ

कैसा है हमारे राजतंत्र का नया चोला

हम काफी imageदिनों से राजतंत्र का चोला बदलने के बारे में सोच रहे थे। हमारे कई मित्रों को शिकायत थी कि राजतंत्र खुलने में काफी समय लगता है। ऐसे में सोच रहे थे कि इसका चोला बदल  दिया जाए। लेकिन हम क्या करते, एक तो हमें यह सब आता नहीं है, और दूसरा यह कि हमारे पास समय भी नहीं है। वैसे भी हमारे राजतंत्र का सारा लेआउट तय करने का काम हमारी धर्मपत्नी ही करती हैं, हम तकनीकी मामले में अनाड़ी ही हैं। हमें तो बस लिखना ही आता है, बाकी सब हम नहीं जानते हैं। हमने काफी समय से पत्नी जी से कह रखा था कि राजतंत्र का गेटअप बदलना है, पर उनका भी क्या कसूर, घर के काम से समय मिले तब तो राजतंत्र का चोला बदला जाता।
कमाई कम हो तो काम कैसे चले?

imageअब आप अपने इस नये जीमेल वाले आईडी से ब्लोगर खाते में लागिन कीजिए। लागिन कर लेने के बाद एक नया अंग्रेजी ब्लोग बना लें। घबराइये नहीं, मैं आपको अपने अंग्रेजी ब्लोग के लिए अंग्रेजी लेख लिखने के लिए नहीं कह रहा हूँ पर  आप एक दो लाइन तो अंग्रेजी लिख ही सकते हैं, एक शीर्षक तो बना ही सकते हैं। अंग्रेजी लिखने के नाम से बस आपको इतना ही करना है। बाकी काम आपके चित्र, व्हीडियो आदि के संग्रह कर देंगे। याने कि आपको अपने संग्रह के किसी चित्र, या व्हीडियो के लिए अंग्रेजी में एक फबता सा शीर्षक देना है और अपने ब्लोग में उस चित्र या व्हीडियो को पोस्ट कर देना है। हो सके तो चित्र से मेल खाता एकाध अंग्रेजी का वाक्य भी जोड़ दें, यह सोने में सुगन्ध का काम करेगा।

आगे है पं वत्स जी और बता रहे है परिष्कृ्त हुआ अन्त:करण ही चमत्कारों को जन्म देता है..........

यहाँ मैं विश्वविख्यात भौतिकविद प्रौफैसर एड्रियन जान्स के ही शब्द प्रयोग करना चाहूँगा कि " भूत,भविष्य की घटित एवं घटित होने वाली हलचलों से मानव के वर्तमानimage में  एक विशेष प्रकार की तरंगें उत्पन हो जाती हैं जिन्हे कि "साईट्रोनिकवेवफ्रण्ट" कहा जा सकता है । इन तरंगों को मानवी मस्तिष्क के घटक न्यूरान्स (स्नायु कोष) पकड लेते हैं एवं इस प्रकार कोई व्यक्ति भूत भविष्य का पता लगा पाने की स्थिति में आ जाता है । मस्तिष्क की अल्फा तरंगों तथा साईट्रोनिक वेव्स की आवृ्ति (frequency) एक ही होने से यह बडी सरल सी प्रक्रिया है । किन्तु सिर्फ उन लोगों के लिए जिनका कि मस्तिष्क सचेतन स्तर पर जागृ्त हो चुका हो।

प्रिंट मीडिया पर ब्लॉगचर्चा-द संडे पोस्ट में 'नुक्कड़', 'साहित्य शिल्पी', 'बाल उद्यान', 'बाल सभा' तथा 'बाल साहित्य'

“ब्लॉगर्स की शाम : ग़ज़ल के नाम” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")

आज की शाम ग़ज़ल के सशक्त हत्ताक्षर ज़नाब सग़ीर अशरफ़ साहब के सम्मान में “उच्चारण” के बैनर तले एक गोष्ठी का आयोजन किया गया।

image image image

शरद कोकास जी के चाचा जी की तबियत बहुत खराब है …हम सभी ब्लाग परिवार के सदस्य आपके चाचा जी के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना करते है! पंकज

नये साल में "लोहे के घर" में यात्रा करते हुए एक कविता

कई दिनों के बाद यात्रा से लौटा हूँ ..मुम्बई गया था ,बीमार चाचा जी से मिलने । व्यस्तता और भागदौड़ कुछ ऐसी रही कि ब्लॉगर मित्रों से और कवि कथाकार मित्रों से मुलाकात ही नहीं कर पाया । जाते समय सोचता रहा कि सबसे मिलूंगा लेकिन यह सम्भव नहीं हुआ । यहाँ तक कि वहाँ मेल देखने का भी समय नहीं मिला । बीच में एक दिन समीर लाल जी से सम्वाद हुआ तो उन्होने कहा " चाचा जी का खयाल रखिये, उन्हे पूरा समय दीजिये । हमारे बुज़ुर्गों से बड़ी हमारी कोई धरोहर नहीं हो सकती ..बाक़ी सब तो चलता रहेगा ।" सो यह हिदायत भी ध्यान में रही ।

दो बार चर्चा तैयार करने के बाद लैपटाप डम्प एरर दिया और हमारा सारा लिखा हुआ गायब हो गया अतः इतने से ही काम चलाईये आगे और भी चर्चाये आती रहेगी इस गधे के द्वारा :)

पंकज मिश्रा

37 comments:

Arvind Mishra said...

आप की भावनाओं को समझ सकता हूँ प्रत्यक्षतः तो यही कह सकता हूँ धैर्य रखिये,जब जब प्रदूषण ज्यादा बढ़ा तो कालिया मर्दन हुआ......अभी तो यही कहूँगा कि-
बचो सुयोधन इस नागिन का विष से भरा दशन है!

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

वाह...!
आखिर जोश आ ही गया!

Udan Tashtari said...

वैसे तो अनूप भाई की मजाक करते रहने की आदत है. हालांकि उनकी मंशा शायह आपको और आपकी भावना को आहत करने की न रही हो.

निश्चित ही इस प्रकरण में आपकी भावनायें आहत हुई हैं, जो कि दुखद है और अनूप जी को उस पंक्ति को चिट्ठाचर्चा से हटा लेना चाहिये.

आपका संयमित भाषा में विरोध दर्ज है, जो कि अनुकरणीय है.

बाकी की चर्चा बहुत बढ़िया है और दो बार मिट जाने के बाद भी मेहनत साफ दिख रही है, साधुवाद.

Gyan Darpan said...

अनूप शुक्ल द्वारा किया गया ये मजाक बहुत ही भद्दा है हमने तो उनके द्वारा की जाने वाली चर्चा पढना ही छोड़ दिया | आपकी भावनाएं समझी जा सकती है पर धेर्य रखे कभी तो उन्हें अपनी गलतियों का अहसास होगा ही |

डॉ. मनोज मिश्र said...

पंकज जी , आदरणीय समीर जी सही कह रहें हैं.

डॉ. मनोज मिश्र said...

और तुरंत श्री अनूप जी को उस पंक्ति को चिट्ठाचर्चा से हटा लेना चाहिये.

Randhir Singh Suman said...

nice

अविनाश वाचस्पति said...

अनूप का यह भी रूप
सबके होते हैं अनेक रूप
नेक रूप
देख रूप

कह सकते हैं
मन की भावनायें
शब्‍दों में आ गईं
उनकी पूरी पहचान
जारी करवा गईं

आप क्‍यों भड़के
लगते हैं
इस जगत में
न जाने क्‍यों
ऐसे ही तड़के

आपने नहीं खड़कना था
हो सकता है
उनको देता हो शोभा
बल्कि दे ही रहा है

उनको शोभित होने दो
आप शांत रहें

यहां संवाद होते हैं कम
और विवादों का लगता है ढेर
पर आप मत होना
जो होता है
उसे हो जाने दें
ढेर ढेर ढेर

श्री रतन सिंह शेखावत जी
द्वारा किया गया निदान
ऐसी समस्‍याओं का है
सबसे उचित समाधान।

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

सुकुल जी जी फ़ुरसत मे कुछ ज्यादा ही मजाक कर गए।
ऐसा नही करना चाहिए था।

आगे समीर भाई से सहमति है।

अनूप शुक्ल said...

वो एक लाइना मैंने हटा दिया है खेद सहित।

वह वाक्य किसी व्यक्ति विशेष के लिये नहीं था। बस एक लाईना की तुक थी। उसे भी खास अपने लिये समझकर अपमानित होने का मन करता है तो भाई बलिहारी है।

एक बार फ़िर खेद व्यक्त कर रहे हैं। वैसे यह बात कल ही बता देते तो शायद आज अपनी चर्चा में दुखी न होते। लेकिन कल यह लिखने का मन किया आपको
कुत्ते की पुछ को १२ बरस तक काच की नली में रखकर बाहर निकाला जाय तब भी सीधा नहीं होता , और यही गर्त में जाने का कारण होता है !

अब क्या हम यह मानकर दुखी हो जायें कि हमको कुत्ता कह दिया गया। भाईजी, अपनी शक्तियों को धनात्मक काम में लगाइये। खुश रहिये।

आपको दुख हुआ इसके लिये फ़िर से खेद है। कोशिश करेंगे कि आगे से आपके ब्लॉग पर छपी किसी चीज को मजाक के लिये इस्तेमाल न करें।

राजकुमार ग्वालानी said...

ताजा तरीन झकास चर्चा

Unknown said...

मैं तो बस यही कहूँगा कि किसी के भी द्वारा किसी की भावनाओं को आहत करने को उचित कहा ही नहीं जा सकता!

बहुत सुन्दर चर्चा की है आपने!

राजेश स्वार्थी said...

अनुप शुक्ला और इनके गुट का रोज मर्रा का काम है कि किसी का माकौल उड़ा देना और फिर खेद प्रकट कर देना। यह शांति और अच्छा माहौल चाहते नहीं है। अब कोई पूछता नहीं है तो इनके पास खिसियाये यही सब करने को बचा है।

अपूर्व said...

आप खुद को ऐसा मत कहिये, आपको जो कष्ट हुआ यह जान कर हमे भी दुख हुआ पंकज जी. अनूप जी का उस पंक्ति को लिखने के पीछे उद्देश्य आपका मजाक बनाना नही रहा होगा, जैसा कि उनकी टिप्पणी से परिलक्षित होता है, मगर शब्द की चोट अक्सर गहरी है. जिस समर्पण और अनुराग के साथ आप नियमित रूप से यह चर्चा तैयार करते हैं, उसकी जितनी प्रशंसा की जाय कम ही होगी, सो हमारा दायित्व बनता है आपका प्रोत्साहन करने का. अब जब कि उन्होने खेद व्यक्त कर दिया है सो उम्मीद है कि आप का क्षोभ दूर होग या होगा..हमें आपकी जरूरत है
बाकी चर्चा तो मस्त है ही हर बार की तरह..

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

पंकज जी, मेरा यह मानना है की अगर कोई प्रतिक्रया वास्तव में अगर पूर्वाग्रहों और दुर्भावनाओं से गर्षित न हो तो हलके फुल्के मजाक के तौर पर कही गई बाते अच्छी होती है साहित्य के लिए क्योंकि यह एक बात ही आगे चलकर कई अन्य बातो की जननी बनती है ! एक बात से कई बाते निकलकर आती है अत: बात अगर अभूत ज्यादा गंभीर न हो तो उसे हलके फुल्के तौर पर उठाना कोई बुराई नहीं !

Anonymous said...

pankaj
its good that you protested no one has a right to use a language that has double meaning equally important is that when someone else is also hurt you on this manch bring out that issue also

dont write only when you or your friends are hurt , that way you will also start making a group
you should as a charchakaar be impartial and write on all people who are writing trash about others
regds

Girish Kumar Billore said...

एक लाइना हटा दिया है
ye theek rahaa..?

तनु श्री said...

आदरणीय अनूप जी नें अपनी भूल सुधार दी है ,अब पंकज जी आप भी मान जाईये.
ब्लॉग जगत हो या वास्तविक जगत , बुध्हिजीवी होना अच्छी बात है लेकिन उसका दंभ पालना और बात है .
मन बहुत दुखी होता है जब विद्वान लोग आपस में उल्झ्तें हैं ,क्या यह अच्छा नहीं होगा की ये बडप्पन बनाये रखनें के साथ सहज भाव और प्रेम से हम जैसे नये लोंगों का मार्ग दर्शन करें .
अब समय आ गया की हम लोगों को केवल मूक दर्शक बने रहनें से काम नहीं चलने वाला .
अच्छी बात पर धन्यवाद और गलत बात पर टोकना होगा ,केवल तटस्थ बन कर रहनें से काम नहीं चलने वाला ,यहाँ तो लोग पता नहीं क्यूँ तटस्थ होकर तमाशा देखतेहै.
चार दिन की जिन्दगी में क्या वाद-विवाद-कुतर्क करना ,कौन सा पडोस का नाली और कुत्ते का रोज -रोज का झगड़ा है.
इस ब्लॉग जगत में हम पास जरूर हैं पर भौगोलिक रूप से हम कितने दूर हैं.
इस दौर में और इतनी भागम -भाग में पूरे जीवन में ही शायद आमने -सामनें मिल पायें .
ब्लॉग पर मिलना ही सुखद रहे,यही अभिलाषा है .
अपनें ब्लॉग जगत के वरिष्ठ जनों से सादर अनुरोध है की वे अपनें ज्ञान को हम सब तक पहुचाये, न की व्यक्तिगत कुंठा को .
क्षमा बडन को चाहिए----इस आशा के साथ ,
तनु

चच्चा टिप्पू सिंह said...

अरे पंकज बचुआ, तु काहे ई शुकुल जी और मगरुरवा से माथा फ़ोडत है? ई त ई सब करिबे के लिये ही तो चर्चा मंच चलावत हैं..इन लोगन को अऊर कोनू काम है का?

अबही कछू दिन पहिले हमका मगरुरवा ने दिवंगत कह दिया अऊर ई दोनो गुरु चेले बडी शान से इतरावत फ़िर रहे हैं. तुमका तो गधा ही कहिन हैं..हमको तो जिंदा मार दिये रहे.

पर तू ई काम अच्छा किहिन कि ईहां पोस्टवा लिखकर इनका नंगा कर दिये हो. जब तक ई लोग हमसे बःई क्षमा नाही मांग लेंगे हम चैन से नाही बैठूंगा.

तुहार सेति ई शुकुल जी तुरंते माफ़ी मांग लिया भाई?

अऊर बच्चा लोग हम आप सब लोगन को ईहां से ही नया साल का बधाई दे देत हैं...काहे से की ई भयंकर ठंडी मा हमार दमा का दम निकल जात है. सो हम ठंड थोडा कम होते ही चर्चियाबे के लिये फ़िर जल्दी ई आऊंगा.

हम प्रशन्न्चित हुं. आप लोग खुश रहिये...शुकुल जी अऊर मगरुरवा..ई समझ लेना कि हमरा काम अभी पूरा नही हुआ है. तुमका हमसे माफ़ी मागे का अभी बाकी है.

सब बच्चा लोगन को टिप टिप.

दिगम्बर नासवा said...

पंकज जी ........... ऐसा तो होता रहता है ब्लॉग जगत में ............ आपने अपना पक्ष बाखूबी रख दिया अब उनके जवाब की प्रतीक्षा है ........... जवाब आए या न आए ........ आप तो बस अपना काम करते चलें .......... चर्चा जोरदार हो रही है ......... आगे भी जारी रकखें ............

निर्मला कपिला said...

ये रूठना और मनाना वाह क्या बात है। वैसे अच्छे बच्चे बडों की बात का गुस्सा नहीं करते इसे थूक दीजिये। चर्चा बहुत अच्छी लगी बधाई

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...

जो हुआ उसे सही तो किसी भी तरह से नहीं कहा जा सकता....लेकिन अक्सर इस प्रकार की गलतियाँ हो ही जाती हैं, जिन पर ध्यान दिया जाना अनावश्यक है। आप अच्छा कार्य कर रहे हैं, करते रहें...
जोरदार चर्चा के लिए बधाई!!!

उम्दा सोच said...

श्रीमान अनूप शुक्ल जी को बड़ी फुर्सत है आज कल सो उनका एकसूत्रीय कार्यक्रम चालू है , उन्हें धंधे पर बैठाओ, कोई काम धाम दो तो खुराफात बंद कर लेंगे ! अवधिया चाचा और ये जोड़ीदारी मालूम पड़ती है !

Anonymous said...

THANKS FOR YOUR UPDATE


MERA BLOG KAHA HAIII


HA ............HA..........
@ETIPS-BLOG TEAM

समय चक्र said...

मै समीरजी की टीप से सहमत हूँ ...ये टीप उन्हें हटा लेना चहिये

Gyan Dutt Pandey said...

अगर आप का एक ळाइना सिर्फ़ मजाक होता है तो भी ऐसा मजाक किसे भायेगा ..कौन है जो गधा कहने पर भी मुस्कुरायेगा ?
--------------
बिल्कुल सही। अगर किसी से फ्रीक्वेन्सी मैच न कर रही हो तो इस प्रकार का मजाक अभद्रता है। और इसी लिये मेरा कहना है कि ही ही फी फी करती चर्चायें बन्द होनी चाहियें! सब से फ्रीक्वेन्सी मैच करना बढ़ते ब्लॉग जगत में सम्भव नहीं।

Gyan Dutt Pandey said...

और आप भी आत्मावलोकन कर लें कि आपने ऐसा क्या किया कि अगला ऐसा मजाक ठेल रहा है!

स्वप्न मञ्जूषा said...

करीब जाकर छोटे लगे... वो लोग जो आसमान थे..

अजय कुमार झा said...

पंकज भाई , दुख न करें और अपना काम करें , वो आप बखूबी कर रहे हैं ।

ताऊ रामपुरिया said...

अति दुखद प्रसंग. अब जब वहां से आप पर आक्षेपित पंक्ति हटाली गै है तो आपको भी आपकी टिप्पणी वहां से हटा लेनी चाहिये. आशा तो कम ही है पर उम्मीद करें कि भविष्य मे ऐसे प्रसंग ना आये.

रामराम.

ताऊ रामपुरिया said...

भूल सुधार

गै = गई

पढा जाये.

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

बड़ों से भी कभी कभी गलती हो जाती है....

तनु श्री said...

ताऊ जी ne सही कहा है ,पंकज जी आपको भी अपनी टिप्पड़ी अब हटा लेने चाहिए.
tanu.

मनोज कुमार said...

ताऊ जी से सहमत।
सार्थक शब्दों के साथ अच्छी चर्चा, अभिनंदन।

Mishra Pankaj said...

@ज्ञानदत्त पाण्डेय Gyandutt Pandey
’आपने एक दिशा दिखाई और निश्चित ही आत्मवलोकन के बिना गुजर नहीं है कि आदमी से गधा क्युं बना दिया गया.. ऐसे ही मार्गदर्शन बनाये रहें’

Girish Kumar Billore said...

सुना है कुछ लोग सन्यास लेने जा रहें हैं

Khushdeep Sehgal said...

अरे पंकज भाई,

आप भी किस चक्कर में उलझ गए...आप बढ़िया काम कर रहे हैं...इस तरह की बातों से विचलित मत हुआ कीजिए...अनूप जी ने समीर जी की बात का मान रखते हुए टिप्पणी हटा ली है...आज आग़ पर पैट्रोल छिड़कने की नहीं पानी डालने की ज़रूरत है...इतिहास गवाह है कि टकराव में बर्बादी के सिवा किसी के कुछ हाथ नहीं लगता...किसी के दिल को चोट न पहुंचे तो थोड़ी बहुत चुटकी भी ली जा सकती है...लेकिन इसके लिए खुद भी मज़ाक सहने का माद्दा रखना चाहिए...चलिए इस प्रकरण पर यही विराम लगाइए...

अब आपका मूड ठीक करने के लिए अपनी एक पोस्ट का लिंक दे रहा हूं...इसमें मैंने कहा था... अपुन गधे ही भले...

http://deshnama.blogspot.com/2009/12/blog-post_20.html

जय हिंद...

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