नमस्कार, पंकज मिश्रा आपके साथ आपके चिट्ठो की चर्चा लेकर …कल भोजपुरी गीत देख रहा था एक गीत मे कुछ ऐसा फ़ोटो दिखा तो रख लिया आप सब के लिये और गीत है मरद सुधार संगठन …
खैर गीत के बात बाद मे पहले चर्चा पढिये…..
चर्चा मे आज खुशी जाहिर कर रहा हु विनोद कुमार पांडेय जी के साथ क्युकि आज पांडेय जी की आधी रात का चाँद और मैं---मेरी पचासवीं कविता आ चुकी है …..विनोद जी बधाई आपको और आपके पाठको को भी
आगे चलते है श्री हिमान्शु पांडेय जी के ब्लाग पर तरुणाई क्या फिर आनी है .. ….
हट गया है शिशिर का परिधान |
अब आगे बढते है निर्मला कपिला जी के ब्लाग पर कविता और के.सी.वर्मा का ब्लाग
कई दिनों से घर मे थी | मुझ नाचीज को मिला ये;;!! मुझ नाचीज को मिला ये, प्यार कैसा है । |
स्वामी भविष्यवक्ता नन्द महराज का प्रादुर्भाव हुआ …अब एक और स्वामी जी हमारे बीच है
स्वामी लंगोटा नन्द महाराज के आशीर्वाद से स्वामी भविष्यवक्ता नन्द महाराज का प्रादुर्भाव हुआ वे कौन हैं? क्या हैं? कैसे हैं? बच्चा लोग इन प्रश्नों का समाधान भी होगा आप सभी धीरज धरें. जन कल्याण हेतु मठ में बाबा जी अपनी विद्या से उचित समाधान देंगे.आप लोग बाबा जी का स्वागत करें. बाबा जी से सम्पूर्ण परिचय कल प्राप्त करें.
मुस्लिम विवाह एक संविदा (कंट्रेक्ट) नहीं बता रहे है दिनेश राय द्विवेदी जी
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। सामाजिक जीवन की सब से महत्वपूर्ण समस्या यौनसंबंध हैं, इन्हें एक रीति में बदल कर नियमबद्ध करना है ताकि मनुष्य की पाशविक प्रवृत्ति जागृत और हावी नहीं हो सके। बिना इस के मामुदायिक जीवन पर नियंत्रण किया जाना संभव नहीं है और बिना इस के सामुदायिक जीवन में चरित्र, मानसिकता तथा उसे छिन्न-भिन्न होने से नहीं बचाया जा सकता है। इसी लक्ष्य की प्राप्ति के लिए इस्लाम ने पति-पत्नी के रिश्ते को नियमबद्ध किया है, जिसे 'विवाह' की संज्ञा दी गई है।
रोज़ की रोटी - Daily Bread पर बात चल रही है बेगुनाह इन्सान की
हर आदमी न्याय कि चाह रखता है किंतु हमें स्मरण रखना चाहिये कि हमारी मान्वीय कमज़ोरियाँ खरा न्याय दिलवाने में चुनौती साबित होतीं हैं। हमारे मन में उत्पन्न बदला लेने के विचार, सच्चा न्याय दिलवाने के प्रयास के लिये घातक हो सकते हैं।
बाजे वाली गली पर राजकुमार केसवानी जी Allen Ginsberg – America
एलेन गिंसबर्ग अपनी प्रसिद्ध कविता 'अमेरीका' (अमरीका) का जिस तरह पाठ करते थे, उसे सुनकर कविता की ताकत का अंदाजा होने लगता है। एक कवि किस तरह अपने देश, अपने समाज की अवांछित स्थितियों, प्रवृतियों के विरुद्ध अपनी कविता को एक असरदार हथियार की तरह इस्तेमाल कर सकता है, यह कविता उसी की एक मिसाल है।
मन का ट्रांसप्लांट! बता रहे है अरविन्द मिश्रा
तूने मुझे कहाँ फंसा दिया ..न ब्लोगिंग छोड़ने दे रहा है और न वह करने जो करने मैं यहाँ आया था ..जहां हरी घांसे हैं वहां कोई घास नहीं डाल रहा ...जहां बियाबान है वहां गधे तू जाना नहीं चाहता. आखिर क्या चाहता है तू बोल दे आज -सुना है इस ब्लागजगत में बहुत सहृदय भी हैं तेरी मनसा पूरी कर देगें -अपना मन देकर तेरा पीछा तुझसे छुडा देगें -पर बेअक्ल तूं कहा जायेगा ? तुझ सड़े गले गलीज को तो कोई लेने को तैयार नहीं होगा. चलो अपने किसी वैज्ञानिक मित्र से बात करते हूँ वे तुम्हे तबतक किसी जीवन दायक घोल में रखेगें जब तक तूं फिर तरोताजा ,नया सा नहीं हो जाता जैसा तूं चालीस वर्ष पहले हुआ करता था -उमंगों ,चाहतों से लबरेज .दुनिया को बदल डा लने के जज्बे से भरा हुआ -प्राणी मात्र से प्रेम की आकांक्षा लिए हुए ...
अब तो तू बिलकुल दुष्ट हो चुका है -सारा ब्लागजगत भी तुझे शरारती मान चुका है -इसलिए अब तूं छोड़ साथ मेरा और यह सोच किसके मन से तुझे ट्रांसप्लांट करुँ -जल्दी कर ,ढूंढ ढांढ बता दे -फिर उससे निगोशिएट किया जाय -हो सकता है बात बन ही जाय
और अंत मे --देखें कार्टून :-- संघ से भाजपा में प्रवेश अब सशर्त , १० साल तक टिकट नहीं..
और साथ मे दिजिये इजाजत नमस्कार
पंकज मिश्रा
23 comments:
बढ़िया चर्चा, पंकज...मगर बड़ी स्पीड से निपटा दिया. चलता है कभी कभी.. :)
मरद सुधार संगठन की तर्ज पर
एक ब्लॉग सुधार संगठन
नहीं .. नहीं ... नहीं ....
ब्लॉगर सुधार संगठन का गठन
शीघ्र प्रस्तावित है
अपनी सम्मति
सहमति
गूढ़मति
तेज गति से अवश्य भेजें
बढ़िया चर्चा
सुंदर चर्चा-आभार
संक्षिप्त मगर सुन्दर ...!!
ये चर्चा बड़ी है मस्त-मस्त
यह भी संछिप्त लेकिन बढिया रही.
मस्त हुई चर्चा
पंकज मिश्र जी !
बढ़िया चर्चा के लिए बधाई!
चर्चा हिन्दी चिट्ठों के परिवार के सदस्य-
हेमन्त कुमार
धीरज शाह
सर्किट
Mishra Pankaj
ललित शर्मा
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक
हिमांशु । Himanshu
Aarjav
दर्शन
महफूज़ अली
निष्क्रिय क्यों हैं?
यह बात कुछ हजम नही हो रही कि एक सदस्य तो 35 चर्चाएँ कर चुका है लेकिन कुछ ऐसे भी हैं जिनकी आज तक एक भी चर्चा नही आ पाई है।
बढिया चर्चा रही , बधाई ।
अब मूड सही करके शानदार चर्चा करो.
रामराम.
शास्त्री जी आपका आदेश सर माथे पे।
आप वाकई लाजवाब चीजें खोज खोज कर लाते हैं।
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सुरक्षा के नाम पर इज्जत को तार-तार...
बारिश की वो सोंधी खुश्बू क्या कहती है ?
मस्त चर्चा धन्यवाद और शुभकामनायें
बढ़िया चर्चा, पंकज जी !
छोटी लेकिन बढिया चर्चा.......
पंकज जी सभी खजानों को एक जगह पर प्रस्तुत करने का बहुत सराहनीय कार्य..और हाँ इसे मेरी कविता की तारीफ मत समझिएगा यह तो आपकी कृपा है जो आपने मुझ नवलेखक की रचना को इतना प्यार दिया और इस प्रकार से और लोगो तक भी पहुँचाया...आपका बहुत बहुत आभरी हूँ साथ ही साथ और भी बेहतरीन रचना प्रस्तुत करने के लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद!!
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acchi rahi charcha...
बेहद रोचक ।
मज़बूत चर्चा पंकज जी ........ मज़ा आ गया .......
behatareen charcha . dhanyavad.
jaldee hi charcha lekar aa raha hoon.
Dilchasp charcha....achhi lagi.
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